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10-Apr-2022 07:53 AM
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DESK : चुनाव के समय राजनीतिक दलों के द्वारा घोषणापत्र में लोकलुभावन वायदे करते हैं, इन वायदों से जनता भ्रमित होती है. लेकिन राजनीतिक दलों पर इसके लिए कोई रोक नहीं लगा सकते. राजनीतिक पार्टियां वादा पूरा नहीं होने पर उन बातों को जुमला बता कर पल्ला झाड़ लेती हैं.
दरअसल, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में फिर कहा है कि चुनावों से पूर्व जनता को मुफ्त बिजली, पानी, राशन, मासिक नकदी, कर्ज माफी आदि वादे करने को लेकर राजनीतिक दलों पर रोक नहीं लगाई जा सकती.
चुनाव आयोग ने सुप्रीमकोर्ट में कहा कि आयोग के पास दलों के इस व्यवहार को विनियमित करने की शक्ति नहीं है. आयोग ने कहा कि चुनावी घोषणाओं को भ्रष्ट चुनाव व्यवहार (जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 123) भी नहीं कहा जा सकता. इसलिए आयोग उनकी मान्यता समाप्त करने की कार्रवाई नहीं कर सकता.
निर्वाचन आयोग ने शपथपत्र में यह जवाब भाजपा नेता अश्विन उपाध्याय 'की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिया है. आयोग ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में स्पष्ट कर दिया था कि लोक लुभावन वादे करने पर रोक नहीं लगाई जा सकती. यह वोटर को ही देखना है कि वह पार्टियों के झूठे वादों को परखे और ऐसे दलों को खारिज कर दे.