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26-May-2022 03:39 PM
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SAHARSA : सूबे के राज्यपाल के प्रधान सचिव और सहरसा के तत्कालीन डीएम सह शस्त्र अनुज्ञापन पदाधिकारी राबर्ट एल चौंगथू के खिलाफ मुकदमा चलाने का विधि विभाग ने आदेश जारी किया है। सदर थाना कांड संख्या 112/2005 में विधि विभाग द्वारा इस मामले को उपर्युक्त पाते हुए मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है।
सरकार के संयुक्त सचिव से जारी कार्यालय पत्र के मुताबिक आरएल चौगथू तत्कालीन जिलाधिकारी सह शस्त्र अनुज्ञापन पदाधिकारी सहरसा को अभियुक्त बनाते हुए उनके विरूद्ध धारा 109, 419, 420, 467, 468, 471, 120 बी भादवि एवं 30 आर्म्स एक्ट के अंतर्गत अभियोजन स्वीकृति के लिए आदेश ज्ञापांक 164 दिनांक 27/4/2022 के माध्यम से प्राप्त हुआ है। जिसके बाद आगे की कार्रवाई शुरू हो गई है। पूर्व डीएम सह राज्यपाल के प्रधान सचिव पर वर्ष 2004 में फर्जी पहचान पत्र पर कई लोगों को शस्त्र अनुज्ञप्ति देने का आरोप है। यह भी आरोप है कि नियम को ताक पर रखकर उन्होंने बाहरी जिले के लोगों को भी आर्म्स लायसेंस निर्गत कर दिया था। इस मामले का खुलासा उस समय के तत्कालीन एसपी अरविन्द पांडेय ने किया था।
इस मामले में तत्कालीन थानाध्यक्ष अनिल कुमार यादवेन्दु ने फर्जी नाम पता के आधार पर आर्म्स लायसेंस पाए सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किया था। जिसमें ओमप्रकाश तिवारी एवं उनकी पत्नी दुर्गावती देवी, हरिओम कुमार, अभिषेक त्रिपाठी, उदयशंकर तिवारी, राजेश कुमार एवं मधुप कुमार सिंह को अभियुक्त बनाया गया था। अनुसंधान के बाद 9 जुलाई 2005 को पुलिस ने ओमप्रकाश तिवारी के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित किया। दूसरा आरोप पत्र 13 अप्रैल 2006 को 14 आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में दायर किया गया था। लेकिन आरएल चौगथू और अभिषेक त्रिपाठी को दोषमुक्त करार दिया गया। अपराध अनुसंधान विभाग के निर्देश के बाद 2009 में पुलिस ने न्यायालय से दुबारा अनुसंधान प्रारंभ करने की अनुमति मांगी थी जिसे न्यायालय द्वारा स्वीकार कर लिया गया। अपने कार्यकाल के दौरान तत्कालीन डीएम सह शस्त्र अनुज्ञापन पदाधिकारी द्वारा पूर्व सांसद सूरजभान के रिश्तेदार हरिओम कुमार, भागलपुर के मेयर दीपक भुवानियां सहित 229 लोगों को हथियार का लाइसेंस दिया था। जांच के बाद 14 लोगों का लाइसेंस रद कर दिया गया था। आरएल चौगथू वर्ष 2003 में सहरसा के डीएम थे।
जांच के दौरान पाया गया कि जिसे हथियार का लाइसेंस दिया गया उस व्यक्तियों का नाम पता पहचान कुछ भी सही नहीं था। विधि विभाग द्वारा उपलब्ध कागजात और कांड दैनिक साक्ष्यों के आधार पर यह पाया कि सदर थाना कांड संख्या 112/2005 दिनांक 26/4/2005 के प्राथमिकी अभियुक्त के खिलाफ फर्जी व्यक्ति को जान बूझकर आपराधिक षड्यंत्र के तहत स्थायी/अस्थायी पता का सत्यापन कराए बिना ही शस्त्र अनुज्ञप्ति प्रदान करने का आरोप प्रथम दृष्टया परिलक्षित होता है और अभियोजन के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनता है। जिसके बाद निर्धारित प्रकिया का पालन करते हुए सरकार द्वारा उनके विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति प्रदान किया गया है।