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01-Jan-2023 07:04 AM
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PATNA : बिहार में शराबबंदी कानून लागू है। यहां नशा से जुड़ा हुआ कोई भी कारोबार या उसका सेवन करने पर मनाही है। इसको लेकर कड़ा सजा का भी प्रावधान है। हालांकि, इसके बाबजूद हकीकत क्या है वह भी किसी से छुपा हुआ नहीं है। इसी कड़ी में अब राज्य सरकार पिछले दिनों हुए अपनी कीड़- कीड़ी को मद्देनजर रखते हुए बड़ा निर्णय लेने जा रही है। राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है कि, बिहार में नए साल से उत्पाद विभाग से स्प्रिट ढोने वाले वाहनों का निबंधन करवाना अनिवार्य होगा।
दरअसल, छपरा में हुए जहरीली शराब कांड के बाद सरकार अलर्ट मोड पर आ गई है। इसी को ध्यान में रखते हुए अब यह निर्णय लिया गया है कि बिहार में नशे के कारोबार पर पहले से अधिक सख्ती होगी। इसी कारण राज्य सरकार ने यह निर्णय किया है कि, परिवहन कंपनियाें काे भी मद्य निषेद्य,उत्पाद एवं निबंधन विभाग से कफ सिरफ, स्प्रिट आदि ढाेने वाले वाहनाें के ट्रांसपाेर्टराें काे निबंधित कराना आवश्यक हाेगा। इसके तहत राज्य में होम्योपैथिक डाॅक्टराें पर निगरानी रखी जायेगी।
बता दें कि, छपरा जहरीली शराब कांड में होम्योपैथिक दवा का दुरुपयोग कर शराब बनाने की बात सामने आयी थी।इसके बाद सरकार ने यह निर्णय लिया है। नये नियम के तहत स्प्रिट, साइलेंट स्प्रिट, कफ सिरफ या किसी भी ऐसे सामान का परिवहन करने वाले वाहनाें काे मद्य निषेध विभाग में निबंधन कराना अनिवार्य कर दिया गया है।
उत्पाद आयुक्त के सचिव रेणु कुमारी सिन्हा ने इसकाे लेकर गाइडलाइन जारी किया है। इसमें कहा गया है कि स्प्रीट, साइलेंट स्प्रिट, कफ सिरफ का परिवहन करने वाले वाहनाें काे 15 जनवरी तक निबंधन कराना अनिवार्य है। इसके लिए मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग काे सूचित करने के साथ ही यह बताना हाेगा कि इस क्षेत्र के लिए व्यापार करते है ताे ऐसे परिवहन कंपनियां व ट्रांसपाेर्टराें काे निबंधित किया जायेगा। शराबबंदी काे देखते हुए ऐसे समाग्रियाें के परिवहन में क्या-क्या सावधानियां बरतनी हैं, इसके बारे में उन्हे बताया जायेगा। यदि काेई ट्रांसपाेर्टर या कपनियां ऐसा नहीं करता है, तो वह कानूनी रूप से अवैध माना जायेगा और उसके खिलाफ मद्य निषेध अधिनियम के तहत कार्रवाई की जायेगी।
गौरतलब हो कि, सारण के मसरख में जहरीली शराब पीने से 80 के आसपास लोगों की मौत हो गई। इस दौरान जब सबसे बड़ी बात सामने आई वह यह थी कि जहरीली शराब बनाने के लिए होम्योपैथिक दवा का इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद अब इसको लेकर सरकार अलर्ट हो गई है और सभी होम्योपैथिक डॉक्टरों पर निगरानी रख रही है। राज्य के सभी डीएम और उत्पाद विभाग के अफसरों के अलावा सभी जिम्मेवार अधिकारियों को यह कहा गया है की होम्योपैथिक डॉक्टरों पर सख्त नजर बनाकर रखें, ताकि उनकी दवाओं का इस्तेमाल शराब बनाने में नहीं हाे सके। यह पहली बार होगा जब होमियाेपैथ पेशे से जुड़े लोगों पर शिकंजा कसा जा सकेगा।