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08-May-2022 07:07 AM
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PATNA : बिहार के सहकारी बैंक को से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। प्रदेश के सभी 23 सहकारी बैंकों के बोर्ड भंग किए जायेंगे। नाबार्ड ने सभी बैंकों को नये नियम के अनुसार बोर्ड के पुनर्गठन का निर्देश जारी कर दिया। खास बात यह है कि नये बोर्ड में अब पुराने अध्यक्षों को जगह मिलने की उम्मीद नहीं है। इसी के साथ नये नियम से खड़ी हुई समस्याओं को देखने के लिए बनी बैकुंठ मेहता कमेटी का कोई मतलब नहीं रह गया है। रिजर्व बैंक ने इस कमिटी की सभी सिफारिशों को अनसुना कर दिया है।
इसके साथ ही सहकारी बैंकों के संचालन के लिए बना केन्द्र सरकार का नया नियम राज्य के इन बैंकों के प्रबंधन के गले की फांस बन गया है। नये नियम से सहकारी बैंकों के बोर्ड का पुनर्गठन हुआ तो वर्तमान बोर्ड के सदस्यों का लौटना संभव नहीं होगा। राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष रमेश चौबे के साथ चार अन्य बैंकों के अध्यक्ष की कुर्सी भी चली जाएगी। नये नियम में दो बार से ज्यादा कोई भी सदस्य लगातार नहीं बन सकता है। राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष रमेश चौबे रोहतास जिला सहकारी बैंक के बोर्ड से चुनकर आए हैं। उनका दो टर्म पूरा हो चुका है। मुजफ्फरपुर बैंक के अमर पांडेय, वैशाली के बिशुनदेव राय और खगड़िया के राजेश का भी दो टर्म पूरा होने वाला है।
इसके अलावा केन्द्र सरकार ने बोर्ड की अवधि भी 5 साल से घटाकर 4 साल कर दी। ऐसे में दो टर्म अध्यक्ष रहने वाले भी 8 साल ही रह पाएंगे। इसके अलावा जिनका टर्म पूरा नहीं भी हुआ है, वे भी नये मानदंड में फिट नहीं हैं। लिहाजा अगर चुनाव हुआ तो सहकारी बैंकों का नया स्वरूप दिखेगा। राज्य कि उनकी रुचि के 23 सहकारी बैंकों में एक सुपौल सुपरसीड है। शेष 22 बैंकों में चयनित बोर्ड काम कर रहा है। लेकिन नाबार्ड ने सभी का चुनाव नये नियम के मुताबिक काम करने का निर्देश जारी कर दिया है।