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07-Sep-2021 07:09 PM
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PATNA : इस वक्त एक बड़ी खबर पटना से सामने आ रही है. मुख्य सचिवालय में चल रही नीतीश कैबिनेट की अहम बैठक खत्म हो गई है. बैठक में 17 एजेंडों पर मुहर लगी है. इस बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं. सदर हॉस्पिटल में तैनात एक महिला डॉक्टर कि नौकरी चली गई है.
मंगलवार शाम को चार देशरत्न स्थित संवाद में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की इस अहम बैठक में 17 एजेंडों पर मुहर लगी है. मंत्रिपरिषद की इस महत्वपूर्ण बैठक में कई अहम फैसले लिए गए हैं. शेखपुरा के सदर हॉस्पिटल में तैनात चिकित्सीय पदाधिकारी डॉ अंजनी कुमारी की नौकरी चली गई है. इन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. मंत्रिपरिषद की बैठक में बर्खास्तगी पर मुहर लग गई है. बताया जा रहा है कि डॉक्टर अंजनी कुमारी 14 अक्टूबर 2011 से ही बिना बताये गायब हैं.
इसके अलावा इस बैठक में सरकार ने बिहार के लगभग 46 हजार स्कूलों में प्रधान शिक्षक और हेडमास्टर की बहाली की स्वीकृति दी है. अब जल्द ही नियुक्ति का नोटिफिकेशन जारी किया जायेगा. बिहार के प्राथमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 45 हजार 852 हेडमास्टरों की बीपीएससी से सीधी नियुक्ति होगी. इनमें 40 हजार 518 पद प्राथमिक स्कूलों के प्रधान शिक्षकों की जबकि 5 हजार 334 प्रधानाध्यापक के पद उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालयों के होंगे.
सरकार ने बिहार कैबिनेट की पिछली बैठक में ही राजकीयकृत प्राथमिक विद्यालय प्रधान शिक्षक नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई और सेवा शर्त नियमावली -2021 को मंजूरी दे दी. वहीं, बिहार राज्य उच्च माध्यमिक विद्यालय प्रधानाध्यापक नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई और सेवा शर्त नियमावली- 2021 की भी स्वीकृति दी थी.
गौरतलब हो कि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्कूली शिक्षा के विकास एवं गुणवत्ता में सुधार के लिए विद्यालय स्तर पर कुशल एवं प्रभावी नेतृत्व की आवश्यकता जताई थी तब उन्होंने प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान अध्यापक का संवर्ग और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक संवर्ग का गठन करने की घोषणा की थी.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि अबतक ऐसे स्कूलों में सबसे वरीय शिक्षक विद्यालय का संचालन करते थे. प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापकों के नए संवर्ग के पदों पर सिर्फ शिक्षक ही दावेदार होंगे. प्राथमिक स्कूलों में प्रधान शिक्षक पद के लिए अर्हता सरकारी स्कूल में 8 साल का शिक्षण तय किया गया है. वहीं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के पद के लिए अपने मूल कोटि में 8 साल पूरा करने वाले सरकारी स्कूलों के शिक्षक जबकि निजी विद्यालयों (सीबीएसई, आईसीएसई बोर्ड के स्कूल) में 12 साल की सेवा पूरी करने वाले शिक्षक योग्य होंगे.