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15-Jul-2021 11:54 AM
By PANKAJ KUMAR
GAYA : धर्मांतरण और जनसंख्या नियंत्रण के मसले पर देश में इन दिनों सियासी बहस छिड़ी हुई है. धर्मांतरण का मसला यूपी चुनाव के पहले कुछ ऐसे गरम हुआ, जैसे आगामी विधानसभा चुनाव में यही चुनावी एजेंडा हो. लेकिन धर्मांतरण को लेकर इस वक्त बड़ी खबर बिहार के गया जिले से सामने आई है. गया में महादलित बस्ती में रहने वाले सैकड़ो महादलित लोगों ने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया है. सभी महादलितों ने ईसाई धर्म कबूल किया है.
धर्मांतरण का यह मामला गया शहर के नगर प्रखंड के नैली पंचायत के बेलवादीह गॉव में महादलितो की बस्ती से सामने आया है. पहले इस महादलित बस्ती में सब कुछ ठीक से चल रहा था. लेकिन अचानक लोगो ने ईसाइयों की तरफ से आयोजित प्रार्थना में जाना शुरू कर दिया और फिर धीरे धीरे पूरी बस्ती ने धर्म परिवर्तन कर लिया है. इस बस्ती में रहने वालों के मुताबिक एक महिला केवला देवी के बेटे का अचानक तबियत खराब हो गयी और डॉक्टर से इलाज करा कर वह थक गयी. लेकिन बेटे की तबीयत ठीक नहीं हुई. महिला को किसी ने ईसाई धर्म के लोगों के पास जाने की सलाह दी. ईसाई धर्म के कई लोग उसके गॉव में पहुँचे घर पर प्रार्थना किया और पानी दिया उसके बाद महिला का बेटा ठीक हो गया. बस फिर क्या था महादलित परिवारों में ईसाई धर्म के प्रति रुचि बढ़ती गयी. लोग अपनी परेशानी को लेकर वहां जाने लगे। जिनकी परेशानी दूर हुई उनकी आस्था ईसाई धर्म में बढ़ती गयी.
हालांकि जानकार बताते हैं कि पास के ही गांव वाजिदपुर में किसी ने रविवार को ईसाई धर्म के द्वारा प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता था. उसी प्रार्थना में सभी महादलित महिला-पुरुष शामिल हुए और हिन्दू धर्म को त्याग कर ईसाई धर्म को अपना लिया है. धर्म परिवर्तन कर चुकी महिलाएं बताती है कि ईसाई धर्म मे महिला को सिंदूर नही लगानी है. उसके बाद महादलित महिलाएं उसका पालन कर सिंदूर लगाना भी बन्द कर दिया है. कहा कि प्रार्थना में जब जाते है तो स्नान कर बिना श्रंगार और सिंदूर के जाती है. उसके बाद अन्य दिन वह सिंदूर भी लगाती है. वहीं लोगों ने कहा कि किसी ने लालच या किसी ने जबरदस्ती धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य नही किया है. बल्कि वे स्वेच्छा से हिन्दू धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म को अपनाया है. बताया की अब हिन्दू देवी देवताओं पर विश्वास नही रहा है. इसलिए अब पूजा पाठ भी बन्द कर दिया है.
वहीं गांव के धर्म परिवर्तन कर चुके महादलित पुरुष मनोज माँझी ने बताया कि हमलोग बहुत परेशान थे. कभी बेटा तो कभी बेटी का तबीयत ख़राब रहता था. मगर इस धर्म में आने के बाद सब कुछ ठीक हो गया है. उन्होंने आगे कहा कि महादलित होने के कारण कई हिन्दू मंदिरों में जाने पर रोक था. लेकिन ईसाई धर्म में ऐसा कुछ नहीं है. पहले भी मंदिर में पूजा पाठ नही करते थे. अब भी नहीं करते हैं. जाहिर है गया से आई धर्मांतरण की यह खबर अब बिहार में सियासी मुद्दा बन जाए तो कोई अचरज नहीं होगा.