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Bihar Education News: बिहार में शिक्षा व्यवस्था पर दोहरे नामांकन की समस्या का संकट

Bihar Education News: बिहार में शिक्षा व्यवस्था पर दोहरे नामांकन की समस्या का संकट

15-Dec-2024 03:37 PM

By First Bihar

बिहार में शिक्षा व्यवस्था को गंभीर चुनौती दे रही दोहरे नामांकन की समस्या एक बार फिर सुर्खियों में है। कई छात्र सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूलों में एडमिशन ले रहे हैं, जिससे न केवल सरकार को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य में करीब 3.50 लाख छात्र ऐसे हैं, जिनका एडमिशन सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूलों में है। ये छात्र सरकारी योजनाओं का अनुचित लाभ उठा रहे हैं।


सरकारी योजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव

सरकार छात्रवृत्ति, पोशाक, साइकिल जैसी योजनाओं पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है। लेकिन दोहरे नामांकन के कारण ये सुविधाएं उन छात्रों तक भी पहुंच रही हैं, जो वास्तव में इनके पात्र नहीं हैं। इसका असर मिड-डे मील जैसी योजनाओं पर भी पड़ा है, जिससे शिक्षा विभाग को बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है।


मिड-डे मील योजना में गड़बड़ी

दोहरे नामांकन के चलते मिड-डे मील योजना में भारी हेरा-फेरी का खुलासा हुआ है। शिक्षा विभाग को हर साल सिर्फ इस योजना में 64 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। स्कूलों में छात्रों की संख्या के आधार पर अनाज, गैस, सब्जी, तेल और अन्य सामग्री के लिए पैसा आवंटित किया जाता है। प्रति छात्र 1 से 5वीं कक्षा के लिए 5.45 रुपये और 6 से 8वीं कक्षा के लिए 3.17 रुपये दिए जाते हैं। लेकिन जब छात्र दोहरे नामांकन से लाभ उठाते हैं, तो इस पैसे का दुरुपयोग होता है।


शिक्षा विभाग का एक्शन प्लान

शिक्षा विभाग ने इस समस्या को रोकने के लिए एक अहम कदम उठाया है। सभी छात्रों के आधार कार्ड को ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड करने का निर्देश दिया गया है। अब तक 80 लाख से अधिक छात्रों के आधार कार्ड इस पोर्टल पर अपडेट किए जा चुके हैं। इस प्रक्रिया के दौरान दोहरे नामांकन वाले छात्रों की पहचान कर उन्हें सरकारी योजनाओं से वंचित किया जा रहा है।


प्रभाव और सुधार की संभावनाएं

दोहरे नामांकन की समस्या को हल करने के लिए शिक्षा विभाग की यह पहल सराहनीय है। इससे न केवल सरकारी धन की बर्बादी रोकी जा सकेगी, बल्कि योजनाओं का सही उपयोग भी सुनिश्चित होगा। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आगे से इस प्रकार की समस्याएं न उत्पन्न हों। यह कदम शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण है और इसके दीर्घकालिक प्रभाव राज्य के शिक्षा ढांचे को मजबूत करेंगे।