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07-Oct-2023 06:50 PM
By HARERAM DAS
BEGUSARAI: बेगूसराय में पुलिस की बड़ी नाकामी सामने आई है। एसपी से रंगदारी मांगने के मामले में पुलिस 17 साल बाद भी कोर्ट में साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सकी, जिसके कारण कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया। साल 2006 में बदमाशों ने फोन कर बेगूसराय एसपी से 2 लाख रुपए की रंगदारी मांगी थी। 17 साल की लंबी सुनवाई के बाद रंगदारी और गाली गलौज करने मामले में न्यायिक दंडाधिकारी मेघा मनीषा के कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में आरोपी को बरी कर दिया।
दरअसल, पूरा मामला साल 2006 का है। बेगूसराय एसपी कार्यालय में तैनात सूचक मजूमदार प्रसाद के पास 5 अगस्त 2006 की रात 1:30 बजे एक व्यक्ति का फोन आया। मजूमदार प्रसाद ने फोन उठाया और फोन करने वाले शख्स से पूछा कि आप कहां से बोल रहे हैं। इस पर फोन करने वाले व्यक्ति ने एसपी का नाम लेकर गंदी-गंदी गाली दी और बोला कि एसपी को बोल दो कि 2 लाख पहुंचा दे। इसके बाद पुलिस महकमें में हड़कंप मच गया। जांच में पता चला कि जिस व्यक्ति फोन किया था उसका नाम संतोष कुमार सुमन है, जो पटियाला कोर्ट में वकील है।
इस मामले का आरोपित संतोष कुमार सुमन बेगूसराय मंसूरचक थाना निवासी है। पुलिस ने घटना को सत्य बताते हुए आरोपित अधिवक्ता संतोष कुमार सुमन के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की धारा 186 506 और 384 के तहत आरोप पत्र समर्पित किया था। इस मामले में कोर्ट ने आरोपित अधिवक्ता के विरुद्ध 25 जून 2012 को आरोप गठन किया और लगभग 11 साल की लंबी अवधि में अभियोजन की ओर से एक भी गवाह न्यायालय में उपस्थित नहीं कराया गया। जिस कारण कोर्ट ने आरोपित अधिवक्ता को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया।