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25-May-2023 07:49 PM
By mritunjay
ARWAL: अरवल जिला पदाधिकारी वर्षा सिंह के द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया गया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 में जिले में शिशु लिंगानुपात 930 था। लेकिन राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 में शिशु लिंगानुपात घटकर 815 प्रति हजार पर पहुंच गया जो अत्यंत चिंताजनक एवं गंभीर मामला है। इस विषय में दोषी अल्ट्रासाउंड केंद्रों, चिकित्सकों, टेक्नीशियन और व्यक्तियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई जांच उपरांत किया जा रहा है।
अरवल में 20 अल्ट्रासाउंड सेंटरों का औचक निरीक्षण किया गया। जिसमें 15 अल्ट्रासाउंड केंद्रों के संचालन में गड़बड़ी पाई गयी जिसके बाद उन पर कार्रवाई करते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। बता दे कि पहले दो अल्ट्रासाउंड केंद्रो के निबंधन को रद्द कर दिया गया था और अब 15 सेंटरों को निलंबित किया गया है। वही अनुमंडल पदाधिकारी को यह निर्देश दिया गया है कि 17 अवैध रूप से कार्य कर रहे अल्ट्रासाउंड केंद्रों को सील किया जाए।
जिसमें अनुमंडल पदाधिकारी और अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी को निर्देशित किया गया है कि बिना आदेश के यह केंद्र कार्य प्रारंभ ना कर सके और जिले में अवैध रूप से संचालित अथवा कार्यरत अल्ट्रासाउंड केंद्र जो भ्रूण जांच उपरांत भ्रूण हत्या का बढ़ावा दे रहे हैं उनके विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई किया जाए।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की सुविधा चार सालों से ना होने की वजह से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और रोगी और जिला प्रशासन के मजबूरी का फायदा उठाते हुए जिले में कुकुरमुते की तरह अल्ट्रासाउंड सेंटर खोलकर लोगों को बहला-फुसलाकर कम पैसे में भ्रूण जांच कराने का काम किया जाता है।
जिसके बाद परिजनों को जैसे ही गर्भ में बच्ची की सूचना मिलती है तो तुरंत भ्रूण हत्या की साजिस अल्ट्रासाउंड सेंटर से ही रच कर गर्भपात करा लिया जाता है। जिसका नतीजा यह हो रहा है कि जिले में शिशु लिंगानुपात लगातार 1000 प्रति 815 शिशु लिंगानुपात ही है। लेकिन जिला प्रशासन अगर अवैध रूप से चल रहे अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर लगातार कार्रवाई करती है तो कहीं ना कहीं भ्रूण हत्या कम होगी और शिशु लिंगानुपात बढ़ेंगे।