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Mahakumbh 2025: महाकुंभ से यूपी की GDP में वृद्धि का अनुमान, मांग-उत्पादन भी बढ़ने की संभावना

Mahakumbh 2025: अर्थशास्त्री पंकज गांधी जायसवाल के अनुसार, इस बार के महाकुम्भ के आंकड़े जो सरकार बता रही है उसके होने भर से ही नॉमिनल और रियल दोनों जीडीपी के आंकड़ों में एक प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है.

Mahakumbh 2025: महाकुंभ से यूपी की GDP में वृद्धि का अनुमान, मांग-उत्पादन भी बढ़ने की संभावना

18-Jan-2025 06:25 PM

By First Bihar

Mahakumbh 2025: आर्थिक क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि 45 दिन तक चलने वाले महाकुंभ के दौरान होने वाले कारोबार से न सिर्फ रोजगार और मुनाफे में बढ़ोत्तरी होगी बल्कि उत्तर प्रदेश की जीडीपी में एक प्रतिशत या उससे भी ज्यादा की वृद्धि हो सकती है. विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि दुनिया भर से आ रहे श्रद्धालुओं द्वारा किए जा रहे खर्च से मांग बढ़ेगी, उत्पादन बढ़ेगा, रोजगार में वृद्धि होगी और छोटे से लेकर बड़े व्यापारियों की जेब में पैसा आएगा। यही नहीं, सरकार को भी इस आयोजन से बड़े पैमाने पर आय होगी, जिसका उपयोग प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर में होगा और जीएसटी कलेक्शन में भी भारी उछाल देखने को मिलेगा.

देश के मशहूर सीए और अर्थशास्त्री पंकज गांधी जायसवाल के अनुसार, इस बार के महाकुम्भ के आंकड़े जो सरकार बता रही है उसके होने भर से ही नॉमिनल और रियल दोनों जीडीपी के आंकड़ों में एक प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है. बतौर उत्तर प्रदेश सरकार देश विदेश से करीब 45 करोड़ लोग इस महाकुम्भ में आएंगे. वो काशी, अयोध्या, चित्रकूट समेत देश के कई हिस्सों में जाएंगे। यदि उनके घर से कुम्भ में आने से लेकर घर वापस आने तक का प्रति व्यक्ति औसत खर्च जोड़ लेंगे तो औसत करीब 10 हजार रुपए प्रति व्यक्ति हो सकता है. ऐसे में यदि 45 करोड़ में इस दस हजार प्रति व्यक्ति खर्च का गुणा करेंगे तो यह करीब साढ़े चार लाख करोड़ रुपए होता है. इसे हम दस फीसदी अनुमान रिस्क के नाम पर थोड़ा कम चार लाख करोड़ ही मान लेते हैं तो भी यह अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए कमाल का आंकड़ा है. कुम्भ का अर्थशाष्त्र तिमाही के आंकड़ों को तो मजबूत करेगा ही, साथ ही देश के वार्षिक राष्ट्रीय जीडीपी को भी मजबूत करेगा और अर्थव्यवस्था को भी.

जायसवाल के अनुसार, सरकार का इस महाकुम्भ में हुए निवेश से कई गुना रिटर्न आ जाएगा. डबल इंजन की सरकार महाकुम्भ के आयोजन पर मिलकर करीब सोलह हजार करोड़ रुपए का खर्च कर रही है. अगर इसी को आधार मान लें तो सरकार की ही आय कई गुना हो जाएगी. मसलन अगर चार लाख करोड़ पर औसत जीएसटी का संग्रह निकालें तो यह करीब 50 हजार करोड़ के आसपास होगा. इस खर्च पर जो लोगों को आय होगी उस पर आयकर तथा अन्य सुविधाओं के अप्रत्यक्ष कर जोड़ दें तो यह आंकड़ा एक लाख करोड़ तक पहुंच जाएगा, मतलब कई गुना आय तो सरकार को ही होगी. ये सारे विश्लेषण और आंकड़े बताते हैं की किताबी आंकड़े भले ही कुछ कहें, महाकुम्भ के बाद अगली तिमाही में अर्थ अमृत का प्रसाद मिलने वाला है. तिमाही आकड़े के साथ शेयर बाजार भी नृत्य करेगा.

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड डीन वाणिज्य फैकल्टी एवं वित्त अधिकारी डॉ एके सिंघल ने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने महाकुम्भ को भव्य बनाने में कोई कमी नहीं रखी है. इसका प्रयागराज समेत पूरे प्रदेश की इकॉनमी पर जबर्दस्त असर देखने को मिलेगा. देश विदेश से आ रहे करोड़ों लोग यहां आकर पैसा खर्च करेंगे. चाहे ट्रांसपोर्ट हो, लोकल वेंडर्स हो, शहर के दुकानदार हों,रिक्शा वाले हों, टैक्सी वाले हों, नाव वाले हों इनकी आमदनी बढ़ेगी. यही नहीं, सरकार ने जितना खर्च किया है उसका 10 गुना तक उसको लाभ हो सकता है. सरकार को जो पैसा मिलेगा वो विकास में खर्च होगा. सबका साथ सबका विकास को प्रोत्साहन मिलेगा. प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा फायदा होगा. प्रदेश की जीडीपी में एक प्रतिशत या इससे ज्यादा की भी वृद्धि हो सकती है.