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10-Jun-2025 07:29 AM
By First Bihar
QRSAM: भारत अपनी वायु रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है। रक्षा मंत्रालय जल्द ही स्वदेशी क्विक रिएक्शन सर्फेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM) सिस्टम की तीन रेजिमेंट्स की खरीद के लिए 30,000 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दे सकता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद इस प्रस्ताव पर स्वीकृति की आवश्यकता पर विचार कर सकती है। यह निर्णय जून 2025 के अंतिम सप्ताह में होने वाली बैठक में लिया जा सकता है।
QRSAM सिस्टम, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है, 25-30 किलोमीटर की रेंज में लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, ड्रोनों और क्रूज मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है। इसकी खासियत इसकी गतिशीलता है, जो इसे चलते हुए लक्ष्य को खोजने, ट्रैक करने और छोटे पड़ावों पर फायर करने की क्षमता प्रदान करती है। यह सिस्टम युद्धक्षेत्र में थलसेना के बख्तरबंद वाहनों और तोपों के साथ तालमेल बनाकर हवाई रक्षा स्थापित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। हाल के वर्षों में DRDO और भारतीय सेना ने इस सिस्टम का कई बार सफल परीक्षण किया है, जिसमें 2022 में कुछ कमियों को दूर करने के बाद सुधार किए गए।
हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायु रक्षा नेटवर्क ने पाकिस्तान के तुर्की और चीनी मूल के ड्रोनों और मिसाइलों को रोकने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की थी। इस ऑपरेशन में आकाश, MRSAM, और रूस निर्मित S-400 सिस्टम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। QRSAM का अधिग्रहण इस नेटवर्क को और मजबूत करेगा, जो पहले से ही आकाश (25-30 किमी रेंज), बराक-8 (70 किमी रेंज), और S-400 (380 किमी रेंज) जैसे सिस्टमों से लैस है।
क्यों जरूरी है QRSAM?
360-डिग्री कवरेज: QRSAM एक एक्टिव ऐरे बैटरी सर्विलांस रडार और लेजर प्रॉक्सिमिटी फ्यूज से लैस है, जो इसे एक साथ छह लक्ष्यों को निशाना बनाने की क्षमता देता है।
आधुनिक खतरों का जवाब: यह सिस्टम ड्रोनों और लो-एल्टीट्यूड लॉइटरिंग म्यूनिशन्स जैसे आधुनिक खतरों को नष्ट करने में प्रभावी है, जो हाल के युद्धों में बढ़ते जा रहे हैं।
आत्मनिर्भर भारत: 90% स्वदेशी तकनीक पर आधारित यह सिस्टम 'आत्मनिर्भर भारत' पहल को बढ़ावा देता है, हालांकि भारत डायनामिक्स लिमिटेड को उत्पादन में आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
सीमाओं की सुरक्षा: यह सिस्टम भारत की पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर तैनात होगा, जहां हाल के वर्षों में भारत-पाक तनाव और 2020-21 के भारत-चीन टकराव के कारण रक्षा तैयारियों को बढ़ाना जरूरी हो गया है।