ARRAH: समाजसेवी अजय सिंह ने बखोरापुर में मनाया जन्मदिन, खिलाड़ियों और छात्रों को किया सम्मानित डोमिसाइल नीति पर तेजस्वी यादव और आरजेडी की दोहरी सोच बेनकाब: ऋतुराज सिन्हा भाजपा को चाहिए सिर्फ आपका वोट, सीवान में बोले मुकेश सहनी..आपकी तकलीफों से बीजेपी कोई लेना-देना नहीं How to Become Pilot: 12वीं के बाद पायलट बनने का सपना करें पूरा, जानें... कौन सा कोर्स है जरूरी Bihar News: 19 जून को इस जिले में लगेगा रोजगार कैंप, 8वीं पास से लेकर ITI वालों तक के लिए नौकरी Bihar News: शराब मामले में गिरफ्तार महादलित युवक की जेल में मौत, परिजनों का हंगामा Ahmedabad Plane Crash: कौन है 17 वर्षीय नाबालिग, जो विमान हादसे का बना गवाह? पुलिस ने की पूछताछ Bihar Election: NDA में शाह-मात का खेल तेज, नीतीश के मास्टरस्ट्रोक से खतरे में चिराग की पसंदीदा सीटें Bihar News: भूमि अधिग्रहण में मूल्य निर्धारण के लिए नई व्यवस्था, MVR को लेकर जारी हुआ यह निर्देश Bihar Crime News: 22 वर्षीय मूक-बधिर मजदूर की गोली मारकर हत्या, बदमाश फरार
02-Mar-2025 06:09 PM
By First Bihar
UP: महाकुंभ के बाद अब वृंदावन में मुसलमानों के प्रवेश पर रोक लगाए जाने की मांग उठ रही है। मुस्लिम समाज के लोगों को यहां दुकान ना लगाने और वृंदावन की होली समारोह में शामिल नहीं होने की मांग की गयी है। हिन्दूवादी संगठन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है और यह मांग की है। हिन्दूवादी संगठन ने कहा कि ब्रज क्षेत्र में होली पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में मुसलमानों के प्रवेश पर रोक लगाई जाए।
हिंदूवादी नेताओं ने वृंदावन में दुकान लगाने को लेकर मुस्लिम समाज के लोगों के सामने एक शर्त रखी है। धर्मरक्षा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सौरभ गौड़ ने कहा है कि पिछले दिनों बरेली में मुस्लिम समाज के लोग हमारे लोगों को धमकियां दे नजर आए थे। जिसे देखते हुए धर्मरक्षा संघ ने यह फैसला लिया कि ब्रज क्षेत्र में मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, बरसाना, गोकुल, दाऊजी सहित अन्य तीर्थ स्थलों पर आयोजित होने वाले होली समारोह में मुसलमानों के प्रवेश पर रोक लगवाएंगे। इसे लेकर धर्मरक्षा संघ ने सीएम योगी को पत्र लिखकर उनके समक्ष अपनी मांगे रखी है।
वृंदावन और ब्रज क्षेत्र में होली का उत्सव एक सांस्कृतिक परंपरा है, जिसमें सदियों से सभी समुदायों की भागीदारी रही है। संविधान और कानून के अनुसार, किसी भी नागरिक को किसी सार्वजनिक स्थल या व्यापारिक गतिविधि से सिर्फ उनके धर्म के आधार पर प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता। यदि प्रशासन इस तरह की मांग को स्वीकार करता है, तो यह मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के दायरे में आ सकता है। ऐसी मांगें सामाजिक सौहार्द को प्रभावित कर सकती हैं और धार्मिक आयोजनों को विवादों में डाल सकती हैं। प्रशासन को इस मामले पर संतुलित और संवैधानिक तरीके से निर्णय लेना चाहिए, ताकि समाज में कोई अनावश्यक तनाव न पैदा हो।