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18-May-2025 10:22 PM
By First Bihar
UP NEWS: मां ने जिस बेटी को 9 महीने तक कोख में रखकर जन्म दिया वही बेटी जानी दुश्मन बन गई। मुसलमान आशिक के चक्कर में उसने ऐसा कदम उठाया कि हर कोई हैरान रह गया। इस घटना से इलाके के लोग भी हैरान हैं। किसी को विश्वास नहीं हो रहा है कि एक नाबालिग बेटी इस तरह मां को मौत के घाट उतार सकती है।
दिल को दहला देने वाली घटना बिहार के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की है। जहां अयोध्या रोड स्थित चिनहट इलाके के सेमरा गांव में एक नाबालिग बेटी ने मुस्लिम प्रेमी के साथ मिलकर अपनी सगी मां की निर्मम हत्या कर दी। इसकी कल्पना मात्र से रूह कांप उठती है। उसने अपनी मां को तड़पा तड़पा कर मारा। कांच के टुकड़े से पहले गला काट दिया फिर हत्या करने के बाद शव के सारे कपड़े उतार दिये। ऐसा उसने इसलिए किया कि मां मुसलमान लड़के से शादी के खिलाफ थी। वह नहीं चाहती थी कि हिन्दू होकर वो मुसलमान से शादी करे। जबकि बेटी अपने प्रेमी को छोड़ना नहीं चाहती थी। उसके प्यार में उसकी मां रुकावट बन कर खड़ी थी। एक दिन नाबालिग बेटी ने प्रेमी के साथ मिलकर हत्या की खौफनाक साजिश रच दी।
हत्या की योजना और क्रूर अंजाम
मृतका 40 वर्षीय ऊषा सिंह अपने घर में अकेली अपनी 15 वर्षीय बेटी के साथ रहती थीं। पुलिस के अनुसार, बेटी और उसका 17 वर्षीय प्रेमी चाहते थे कि मां उनके संबंधों में रोड़ा न बने। इसी वजह से दोनों ने मिलकर पहले ऊषा सिंह का गला कपड़े से घोंटा और फिर कांच के टुकड़े से गला रेतकर हत्या कर दी।हत्या के बाद, पुलिस को गुमराह करने और घटना को दुष्कर्म की शक्ल देने के इरादे से दोनों ने शव से कपड़े उतार दिए और डेडबॉडी को निर्वस्त्र अवस्था में छोड़ दिया। वारदात के बाद दोनों बेंगलुरु भागने की योजना बना रहे थे, लेकिन इससे पहले ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया।
पुलिस की तफ्तीश में खुलासा
घटना की सूचना मिलते ही चिनहट थाना पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंची। अपराध स्थल का निरीक्षण करने के बाद पुलिस को संदेह हुआ कि हत्या में घर के भीतर मौजूद कोई करीबी शामिल हो सकता है। जब ऊषा सिंह की बेटी से पूछताछ की गई, तो उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। उसके बयान के आधार पर उसके नाबालिग प्रेमी को भी गिरफ्तार किया गया।
पुलिस उपायुक्त (पूर्वी) शशांक सिंह ने बताया कि यह हत्या पूर्व नियोजित थी। प्रेमी ने ऊषा सिंह से अपनी रंजिश के चलते यह साजिश रची थी, क्योंकि एक साल पहले ऊषा ने बेटी के अपहरण के आरोप में युवक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसके चलते उसे न्यायिक हिरासत में रहना पड़ा था। रिहाई के बाद उसने ऊषा से बदला लेने की ठानी।
पुलिस के मुताबिक, ऊषा सिंह पिछले कई वर्षों से अपनी बेटी के साथ अकेली रह रही थीं। उनके पति योगेंद्र सिंह का निधन करीब 12 साल पहले हो चुका था। परिवार में अन्य कोई सदस्य साथ नहीं रहता था। यह वारदात केवल एक हत्या नहीं है, बल्कि सामाजिक, पारिवारिक और नैतिक मूल्यों के क्षरण का एक चिंताजनक संकेत भी है। एक किशोरी द्वारा अपनी मां की हत्या जैसी अमानवीय घटना यह सवाल उठाती है कि हम अपनी अगली पीढ़ी को क्या संस्कार और सामाजिक मार्गदर्शन दे पा रहे हैं?
पुलिस ने दोनों नाबालिगों को बाल न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर आवश्यक कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। मामले में गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। फॉरेंसिक रिपोर्ट और अन्य साक्ष्यों के आधार पर आगे की जांच जारी है। यह घटना समाज के हर वर्ग को यह सोचने पर मजबूर करती है कि एक ओर जहां परिजन बच्चों के लिए अपनी पूरी जिंदगी समर्पित कर देते हैं, वहीं कुछ बच्चे किस कदर भावनाओं में बहकर अंधकारमय रास्ता अपना लेते हैं।