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13-May-2025 04:24 PM
By First Bihar
BIHAR: बिहार के बेतिया जिले में एक झोला छाप डॉक्टर की करतूत सामने आई है। नरकटियागंज अनुमंडल अंतर्गत कृषि बाजार रोड स्थित डॉ. खालिद अख्तर के प्राइवेट क्लिनिक में इलाज के दौरान 4 माह के मासूम बच्चे की संदिग्ध स्थिति में मौत हो गई। घटना से गुस्साए परिजनों ने क्लिनिक के संचालक झोला छाप डॉक्टर को जिम्मेदार ठहराते हुए जमकर हंगामा मचाया। इस दौरान इलाके में तनाव का माहौल बना रहा।
बताया जाता है कि मृत बच्चा कटघरवा गांव निवासी दीपक कुमार का पुत्र था। परिजनों का आरोप है कि उन्होंने बीमार बच्चे को उपचार के लिए पास के ही डॉ. खालिद अख्तर के क्लिनिक में भर्ती कराया था। डॉक्टर ने पहले इलाज के नाम पर ₹400 की फीस ली और फिर ब्लड जांच के लिए अतिरिक्त ₹850 भी वसूले गये। लेकिन इलाज के दौरान ही बच्चे की हालत और बिगड़ गई और कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई।
गलत दवा देने का आरोप, रेफर कर पल्ला झाड़ा
बच्चे की बिगड़ती हालत देख डॉक्टर खालिद ने बच्चे को रेफर कर बेतिया ले जाने को कहा, लेकिन तब तक मासूम की सांसें थम चुकी थीं। आक्रोशित परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने जानबूझकर गलत दवा दी, जिससे बच्चे की मौत हुई। परिजनों ने डॉक्टर पर गैर-पेशेवर और लापरवाही पूर्ण रवैये का गंभीर आरोप लगाया है।
डॉक्टर के समर्थन में उतरे दलाल, पीड़ितों को धमकी
स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई जब डॉक्टर के समर्थन में उसके क्लिनिक से जुड़े कुछ स्थानीय दलाल मौके पर पहुंच गए। इन लोगों ने न सिर्फ डॉक्टर का बचाव किया, बल्कि पीड़ित परिजनों पर दोष मढ़ने लगे और उन्हें धमकी भी दी। इस दौरान जमकर धक्का-मुक्की हुई और भीड़ उग्र हो उठी। डॉक्टर की पर्ची भी परिजनों से छीन लिया गया। ऐसा डॉक्टर के लिए काम करने वाले बिचौलियों ने भीड़ का फायदा उठाते हुए किया। पर्ची छीनने के पीछे का कारण यह बताया जा रहा है कि मृत बच्चे के परिजन क्लेम ना करें कि डॉक्टर खालिद के यहां वो इलाज के लिए आए थे। जहां इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गयी।
पुलिस ने पहुंचकर संभाला मोर्चा
घटना की सूचना मिलते ही शिकारपुर थाना के एसआई दिनेश राय पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और आक्रोशित लोगों को शांत करने का प्रयास किया। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करते हुए क्लिनिक के आसपास सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। थानाध्यक्ष अवनीश कुमार ने बताया कि अभी तक मृतक बच्चे के परिजनों की ओर से कोई लिखित शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। आवेदन मिलने पर पूरे मामले की जांच कर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठे सवाल
इस घटना ने एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय झोलाछाप डॉक्टरों और अनियमित निजी क्लीनिकों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बिना किसी वैध मेडिकल डिग्री और पंजीकरण के इलाज कर रहे ऐसे चिकित्सकों की निगरानी और कार्रवाई की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि वह समय-समय पर ऐसे क्लीनिकों की जांच करे और झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कदम उठाए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
बेतिया से संतोष कुमार की रिपोर्ट