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Bihar Politics: 'अनंत सिंह के बेटे, सूरजभान और सोनू-मोनू या BJP का नया फेस ...', अनंत सिंह के वापस जेल जाते ही शुरू हुई नई चर्चा; अब कौन होंगे 'नए सरकार'

Bihar Politics: फायरिंग की घटना के बाद अनंत सिंह जेल चले गए हैं। इसके साथ ही मोकामा में अनंत सिंह के पुराने राजनीतिक दुश्मन सूरजभान भी एक्टिव हो गए हैं। इसके बाद अब सवाल उठ रहा है कि क्या इस बार मोकामा को नया छोटा सरकार मिलने जा रहा है?

anant singh son

27-Jan-2025 10:00 AM

By First Bihar

Bihar Politics: मोकामा फायरिंग के बाद अनंत सिंह पर जहां कानूनी शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। वहीं इससे पहले मोकामा में लगभग यह तय माना जा रहा था कि जिस तरह से लोकसभा चुनाव के बाद अनंत सिंह की जनता दल यूनाइटेड से नजदीकी एक बार फिर बढ़ी है उससे यह लगभग तय है कि जेडीयू के टिकट पर ही छोटे सरकार मोकामा से चुनाव लड़ेंगे, लेकिन अब बदले समीकरण में छोटे सरकार की राह आसान नहीं है। अब मोकामा के लोगों में भी इस बात की चर्चा तेज है कि शायद अनंत सिंह के नाम पर संशय हो सकता है। ऐसे में अब इलाके में किन नामों की चर्चा तेज है उसको लेकर आप हम आपको कुछ अहम नाम बताने वाले हैं। 


दरअसल, फायरिंग की घटना और पुलिस पर सवाल उठाने की वजह से जनता दल यूनाइटेड ने अनंत सिंह से दूरी बना ली है। इसको लेकर खुद मुंगेर के सांसद और केंद्र में मंत्री ललन सिंह ने कहा कि दहशत फैलाने वालों को पुलिस किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेगी। यह तो बेहद आम बात थी। लेकिन इसमें सबसे ख़ास और ध्यान देने वाली बात यह थी कि उन्होंने 2020 में अनंत को आरजेडी से टिकट मिलने पर भी सवाल उठाया। इतना ही नहीं उन्होंने अनंत सिंह की पत्नी के टिकट देने पर भी सवाल खड़ा किया। 


ऐसे में अब इलाके में यह चर्चा तेज है कि शायद अनंत सिंह के लिए जदयू का दरवाजा बंद है। जबकि लोकसभा चुनाव में अनंत सिंह ने खुलकर जेडीयू उम्मीदवार ललन सिंह का सपोर्ट किया था, जिसके कारण आरजेडी से उनके रिश्ते खराब हो गए। 2015 का एक मात्र चुनाव छोड़ दें तो अभी तक अनंत सिंह किसी न किसी पार्टी से ही जीत हासिल करते रहे है। हालांकि, अनंत सिंह यह बात लगातार कहते रहे हैं कि उन्हें विधायक बनने के लिए किसी भी पार्टी की जरूरत नहीं है, लेकिन जिस तरीके से मोकामा का सियासी समीकरण लगातार बदलता जा रहा है, उससे बिना पार्टी छोटे सरकार की राह आसान हो, इसकी गुंजाइश कम है। 


वहीं, इस गैंगवार के बाद जहां अनंत सिंह के धुर-विरोधी सूरजभान एक्टिव हो गए हैं। ऐसी इलाके में चर्चा है कि सूरजभान भी बैकडोर से सोनू-मोनू के समर्थन में हैं। पशुपति पारस की पार्टी में शामिल सूरजभान यह कह चुके हैं कि जब रावण का अहंकार नहीं रहा तो बाकी का क्या रहेगा और दूसरी बात यह कि उन्होंने कहा कि किसी भी विधायक को किस तरह का काम नहीं करना चाहिए। ऐसे में इशारों ही इशारों में सूरजभान ने बता दिया है कि वह भी मोकामा में आगामी चुनाव को लेकर तैयार हैं। 


इसके अलावा सोनू-मोनू भी मोकामा के कई गांव में अपना प्रभाव रखता है। चुनाव आयोग के आकड़ों के मुताबिक इस बार के लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री ललन सिंह मुंगेर इलाके के सभी विधानसभा में आगे रहे जबकि अनंत सिंह के विधानसभा में वह पीछे हो गए। इस पुरे मामले को भी सोनू-मोनू गैंग से जोड़ कर देखा जा रहा है। हालांकि ,इसके जरिए वह केंद्रीय मंत्री ललन सिंह को यह समझाना चाहते थे की अब अनंत सिंह का क्रेज पहले जैसा नहीं रहा। 


ऐसे में इस चुनाव में सूरजभान के साथ अगर दोनों का मेल होता है, तो अनंत का खेल भी हो सकता है। इतना ही नहीं, सांसदी चुनाव लड़ चुके अशोक महतो भी अनंत से बदला लेने के मूड में हैं। अशोक महतो की पत्नी के खिलाफ लोकसभा चुनाव 2024 में अनंत ने सीधा मोर्चा खोल रखा था। ऐसे में इस बार भी यह अनंत सिंह को नुकसान देने के फिराक में हैं। 


इसके साथ ही चर्चा यह भी है कि अनंत सिंह के दो जुड़वा बेटे हैं-अभिषेक और अंकित। यह  दोनों राजनीति शास्त्र से पढ़ाई भी कर चुके हैं। जब अनंत जेल में थे, तब मां के साथ इलाके में घूमते थे। इतना ही नहीं मौके पर यह अपने पापा अनंत सिंह के साथ भी इलाके में जाते हैं। ऐसे में इलाके में यह कहा जा रहा है कि अनंत अपने किसी एक बेटे को सियासत में उतार सकते हैं। 


इसकी एक वजह यह भी है कि अनंत सिंह भी इसी तरह राजनीति में आए थे। उस वक्त उनके भाई दिलीप सिंह सरकारी शिकंजे में थे। इसके बाद जब अनंत के सियासत में आने की चर्चा हुई तो दिलीप सिंह यानी मोकामा के बड़े सरकार ने मोकामा की सीट भाई के लिए छोड़ दी। अनंत इसके बाद इलाके में छोटे सरकार के नाम से मशहूर हो गए.


इधर, 2022 में अनंत जेल में थे, तब अपनी पत्नी को उतार दिया। उनकी पत्नी जीत तो गई, लेकिन सियासत में सक्रिय नहीं रही। ऐसे में मोकामा इलाके में यह चर्चा है कि अनंत सिंह ने उनको यह समझाया है कि आप इस तरह से राजनीति नहीं कर सकती है। लेकिन, जदयू यदि किसी साफ़ छवि और महिला कैंडिडेट की तलाश में है तो यह अच्छा विकल्प हो सकता है। लेकिन,उपचुनाव में भाजपा का स्ट्राइक रेट भी इलाके में काफी अच्छा रहा है ऐसे में भाजपा यदि यह सीट अपने पाले में लेती है तो यहां एक नया चेहरा देखने को मिल सकता है।