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28-Jan-2025 12:58 PM
By Viveka Nand
Bihar News: सचिवालय के गलियारे में 1st bihar/Jharkhand का डंका बजा है. हमने 25 दिसंबर 2024 को पथ निर्माण विभाग में करोड़ों की गड़बड़ी का खुलासा किया था. खुलासे के बाद विभाग के अंदर हड़कंप मचा, शुरूआत में मामले को दबाने की कोशिश की गई, तरह-तरह के आरोप भी लगाए गए. लेकिन सच सच होता है. हमने पूरे खेल में विभाग के इंजीनियरों का पर्दाफाश किया था. बिहार के पथ निर्माण मंत्री सह सूबे के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर स्वीकार किया, ''पथ प्रमंडल गया में 26 करोड़ की राशि का फर्जीवाड़ा किया गया''. यह खेल पूर्व पथ निर्माण मंत्री सह पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के कार्यकाल में हुआ है.
सरकार ने किया स्वीकार 1st bihar/Jharkhand का खुलासा 100 फीसदी सही
बिहार सरकार के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 1st bihar/Jharkhand के खुलासे को प्रमाणित किया. उन्होंने कहा कि पथ प्रमंडल गया-1 में पूरा खेल किया गया है. पथ प्रमंडल गया के अंतर्गत बजीरगंज-तपोवन पथ 19.18 किलोमीटर, जमुआ - सेवतर पथ 17.5 किलोमीटर, भिंडस - चमण्डीह पथ 21.3 किलोमीटर के निर्माण समाग्री में बड़ा खेल किया गया है. जांच में इन तीनों पथों के निर्माण में भारी गड़बड़ी का पता चला है. पत्थर के एक्सट्रा कैरेज को लेकर शिकायत थी. राजा कंस्ट्रक्शन के द्वारा काम किया गया था. इस कंपनी के सभी कार्यों की समीक्षा की जाएगी. डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने आगे कहा कि 2016 में 26 करोड़ से अधिक राशि को अवैध और गलत तरीके से भुगतान किया गया है. तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री तेजस्वी यादव के कार्यकाल में गड़बड़ी हुई थी. उस समय सत्ता में बैठे लोगों ने गड़बड़ी की और दोषी पदाधिकारी पर कार्रवाई नहीं की.
तेजस्वी यादव के कार्यकाल में पथ निर्माण विभाग को वित्तीय नुकसान पहुंचाया गया
पथ निर्माण विभाग के मंत्री विजय सिन्हा ने कहा कि तेजस्वी यादव के मंत्रित्व काल में पथ निर्माण विभाग को वित्तीय नुकसान पहुंचाया गया .डिप्टी सीएम ने साफ कहा कि राजा कंस्ट्रक्शन को संरक्षण देने वालो पर भी कार्रवाई होगी. उन्होंने बताया कि सांसद सुरेंद्र यादव से भी कंपनी का लगाव है.
जानें पूरा मामला.......
बता दें, 1ST Bihar/Jharkhand के खुलासे के बाद 27 दिसंबर 2024 को पथ प्रमंडल गया के कार्यपालक अभियंता से शो-कॉज पूछा गया था.1ST Bihar/Jharkhand ने 25 दिसंबर 2024 को प्रमाण के साथ खुलासा किया कि पथ निर्माण विभाग के पथ प्रमंडल सं-1 गया में फर्जीवाड़ा कर करोड़ों-करोड़ का घोटाला हुआ है. आंतरिक खुलासा खुद गया के कार्यपालक अभियंता ने ही कराया, पर दबाकर बैठे रहे. मकसद वसूली करना था. पथ प्रमंडल-1 गया के कार्यपालक अभियंता ने 6 अगस्त 2024 को पत्र सं.1257 के माध्यम से पाकुड़ (झारखंड) के खनन अफसर को पत्र लिखा. जिसमें इनके कार्यालय (खनन कार्यालय पाकुड) से जारी कुल 6 पत्रों को सत्यापित करने को कहा. पत्र सं-312/M,06.04.2015, 370/M 24.04.2015, 408/M 14.05.15, 379/M 02.05.2015, 398/M 13.05.2015 एवं 13.05.2015 DATE 13.05.2015 (सभी पत्र 2015 के हैं) को सत्यापित करने को कहा. पाकुड के खनन कार्यालय से सत्यापित करने को कहा गया कि यह चिट्ठी आपके कार्यालय से जारी हुआ है या नहीं ? पथ प्रमंडल गया के कार्यपालक अभियंता ने बजाप्ता अपने एक सहायक अभियंता निशांत राज को इस काम के लिए प्राधिकृत किया था.
पाकुड के खनन अधिकारी ने 8 अगस्त 2024 को ही दिया था जवाब
पथ प्रमंडल-1 गया के कार्यपालक अभियंता के पत्र संख्या 1257 के आलोक में जिला खनन पदाधिकारी पाकुड़ (झारखंड) ने 8 अगस्त 2024 को जवाब भेजा। जिसमें जानकारी दी गई है कि उपरोक्त सभी पत्र कार्यपालक अभियंता पथ प्रमंडल -1 गया को निर्गत नहीं है। पाकुड के खनन पदाधिकारी ने स्पष्ट कर दिया कि जिस 6 पत्रों के बारे में उल्लेख किया गया है, वह उनके कार्यालय से जारी नहीं है, यानि उपरोक्त सभी पत्र फर्जी हैं।
Extra कैरेज कॉस्ट के रूप में करोड़ों का हुआ भुगतान
बता दें, आरोप है कि फर्जी पत्र लगवाकर पथ प्रमंडल-1 गया ने राजा कंस्ट्रक्शन कंपनी को करोड़ों रु (extra कैरेज कॉस्ट) का भुगतान किया है। E.E. गया और पाकुड़ के खनन अफसर के बीच हुए पत्राचार का दोनों पत्र हमारे पास मेरे पास है। पूरा मामला Extra कैरेज कॉस्ट का भुगतान का है. झारखंड के पाकुड खनन कार्यालय का फर्जी पत्र लगाकर 2015-16 में करोड़ों का भुगतान लेने की बात है. सड़क निर्माण में लगने वाले पत्थर को झारखंड से लाने का फर्जी पत्र स्वीकार कर पथ प्रमंडल गया-1 के कार्यपालक अभियंता ने निर्माण कंपनी को Extra कैरेज कॉस्ट का भुगतान किया है.
मामले को दबाकर बैठे रहे कार्यपालक अभियंता रितेश सिन्हा
खुलासे के बाद पथ प्रमंडल गया-1 के कार्यपालक अभियंता रितेश सिन्हा मामले को दबाकर चुप्पी साधे बैठे रहे. जब हमने उनसे पूछा तो उनके पास जवाब नहीं था, वे बचते दिख रहे थे.बचने के लिए फोन अपने सहायक अभियंता को थमा दिया था. सहायक अभियंता ने कहा कि यह मामला कार्यपालक अभियंता के क्षेत्राधिकार में है. यानि जवाब न देकर पूरे मामले को दबाने की कोशिश की गई। वहीं पथ निर्माण विभाग गया अंचल के अधीक्षण अभियंता भी पूरे खेल को जान रहे थे. हमने उनसे भी पूछा, वे भी इस मसले पर चुप हो गए. उनसे पूछा गया कि इस मामले पर क्या कार्रवाई होगी ? इस सवाल का जवाब उनके पास नहीं था. ऐसा लग रहा था कि वे भी इस पूरे खेल में शामिल हों.