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Bihar Police: हथियार लहराने वाले 5000 लोगों की खैर नहीं, स्पीडी ट्रायल के लिए स्पेशल कोर्ट...DGP ने भेजा प्रस्ताव, 2005-2011 तक हफ्ते भर में दिलाई जाती थी सजा

बिहार में अवैध हथियार रखने और लहराने वालों पर शिकंजा कसने की तैयारी है। DGP विनय कुमार ने बताया कि आर्म्स एक्ट के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए सभी जिलों में विशेष अदालतों के गठन का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है।

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19-Jun-2025 07:30 PM

By Viveka Nand

Bihar Police: जगह-जगह हथियार लहराने वाले अपराधी अब बिहार पुलिस के निशाने पर होंगे। राज्य पुलिस मुख्यालय ने घातक हथियार लेकर चलने वाले अपराधियों की नकेल कसने की तैयारी पूरी कर ली है। राज्य पुलिस मुख्यालय ने आर्म्स एक्ट के मामलों की त्वरित सुनवाई और अपराधियों को तत्काल सजा दिलाने के लिए राज्य के सभी जिलों में विशेष अदालतों के गठन का प्रस्ताव सरकार को सौंप दिया है। डीजीपी विनय कुमार ने यह जानकारी दी है.

एक साल में आर्म्स एक्ट के 5000 हजार केस

बिहार के पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने बताया कि विगत एक साल में सूबे में आर्म्स एक्ट के 5000 हजार से भी अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। राज्य में फास्ट ट्रैक कोर्ट के अभाव में इन मामलों की सुनवाई में बेवजह विलंब हो रहा है। उन्होंने कहा कि आर्म्स एक्ट के मामलों की त्वरित सुनवाई और इसमें शामिल अपराधियों को तत्काल सजा दिलाने के लिए राज्य के सभी जिलों में विशेष अदालतों के गठन का प्रस्ताव सरकार को भेज दिया गया है।

पहले एक सप्ताह में स्पीडी ट्रायल चलाकर दिलाई जाती थी सजा 

बता दें कि वर्ष 2005 से 2011 के बीच आर्म्स एक्ट के मामलों का स्पीडी ट्रायल कराकर अपराधियों को एक सप्ताह के अंदर अदालत से सजा दिलाई जा रही थी। बिहार पुलिस के इस अभियान का असर यह हुआ कि लोग हथियार लेकर निकलने का साहस नहीं करते थे। लेकिन वर्ष 2011 के बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट की समाप्ति के बाद ऐसे मामलों की सुनवाई में विलंब होने से ऐसे मामले सुनवाई के अदालतों में लटकने लगे। पुलिस के लिए आर्म्स एक्ट के मामलों में अपराधियों को सजा दिलाने में खास समस्या का सामना भी नहीं करना पड़ता है। क्योंकि ऐसे अधिकतर मामलों में पुलिस अधिकारियों और कर्मियों की गवाही ही अपराधियों को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त होती है। 

क्या है आर्म्स एक्ट 

आर्म्स एक्ट (1959) कानून अवैध हथियारों के निर्माण, बिक्री, कब्जे, परिवहन, आयात और निर्यात को नियंत्रित करता है। इस अधिनियम के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग सजाएं निर्धारित हैं। जिनमें कारावास और जुर्माना दोनों शामिल हैं। उदाहरण के लिए बिना लाइसेंस के हथियार रखने पर तीन से सात साल तक की कैद और जुर्माना दोनों का प्रावधान है। जबकि प्रतिबंधित हथियारों का उपयोग करने पर आजीवन कारावास और जुर्माना भी हो सकता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि आर्म्स एक्ट के तहत सजा की मात्रा अपराध की परिस्थितियों, जैसे हथियार का प्रकार, उपयोग, और क्षेत्र (जैसे अशांत क्षेत्र) पर निर्भर करती है।