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18-Sep-2025 10:46 AM
By First Bihar
BIHAR ELECTION : बिहार की सियासत आने वाले महीनों में पूरी तरह चुनावी रंग में रंगने वाली है। विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक गतिविधियां और नेताओं की चहलकदमी भी बढ़ती जा रही है। हर राजनीतिक दल जनता का समर्थन जुटाने और सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरी ताकत झोंकने में लगा है। इस बीच एक अहम घटनाक्रम ने सूबे की राजनीति को और भी दिलचस्प बना दिया है। दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता अमित शाह बिहार दौरे पर पहुंचे हैं। इस दौरान उनकी मुलाकात बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के मुखिया नीतीश कुमार से हुई है।
जानकारी के अनुसार, शुक्रवार की सुबह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजधानी पटना के होटल मौर्य पहुंचे, जहां अमित शाह ठहरे हुए थे। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति पर विस्तृत चर्चा की। अमित शाह को भाजपा का सबसे बड़ा रणनीतिकार माना जाता है और उनका बिहार चुनाव में सक्रिय होना अपने आप में यह संकेत देता है कि पार्टी इस बार कोई भी चूक नहीं करना चाहती।
नीतीश कुमार और भाजपा का रिश्ता बिहार की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव से गुजरा है। कभी दोनों साथ मिलकर सरकार चलाते हैं, तो कभी अलग होकर चुनावी मैदान में उतरते हैं। ऐसे में मौजूदा दौर की यह मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि यह संकेत देती है कि चुनाव से पहले एनडीए गठबंधन में मजबूती लाने की कवायद शुरू हो चुकी है।
भाजपा और जदयू, दोनों ही दल जानते हैं कि बिहार में अकेले दम पर सत्ता हासिल करना बेहद मुश्किल है। इसलिए गठबंधन की राजनीति यहां की मजबूरी और हकीकत बन चुकी है। भाजपा के पास जहां मजबूत कैडर और केंद्र की सत्ता का सहारा है, वहीं नीतीश कुमार के पास बिहार की राजनीति में लंबे समय का अनुभव और प्रशासनिक छवि है। यही कारण है कि दोनों दल अपने-अपने मतभेदों को किनारे रखकर एक बार फिर मिलकर चुनावी तैयारी में जुट गए हैं।
सूत्रों के अनुसार, मुलाकात में सीट बंटवारे और चुनावी घोषणापत्र को लेकर भी चर्चा हुई है। भाजपा चाहती है कि इस बार उसे ज्यादा सीटें मिलें, जबकि जदयू अपनी परंपरागत सीटों पर पकड़ बनाए रखना चाहती है। हालांकि अंतिम निर्णय पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ही करेगा, लेकिन बातचीत की शुरुआत से यह साफ है कि गठबंधन को लेकर दोनों गंभीर हैं।
उधर, बिहार में विपक्षी दल भी पीछे नहीं हैं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने पहले ही बड़े पैमाने पर जनसभाएं और कार्यकर्ता सम्मेलन शुरू कर दिए हैं। राजद युवा नेताओं के सहारे ग्रामीण और शहरी दोनों वोट बैंक को साधने में लगा है। वहीं, कांग्रेस और वामपंथी दल भी अपनी भूमिका तय करने में जुटे हैं। महागठबंधन एकजुट रह पाएगा या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा क्योंकि विपक्ष की मजबूती सीधे तौर पर एनडीए के समीकरणों को प्रभावित कर सकती है।
बिहार न सिर्फ राजनीतिक रूप से, बल्कि राष्ट्रीय परिदृश्य पर भी एक महत्वपूर्ण राज्य है। यहां की विधानसभा चुनावी नतीजे अक्सर केंद्र की राजनीति पर भी असर डालते हैं। अमित शाह की मौजूदगी यह संदेश देती है कि भाजपा इस चुनाव को हल्के में नहीं ले रही। वहीं नीतीश कुमार की मुलाकात यह दर्शाती है कि वे अभी भी खुद को सत्ता का अहम खिलाड़ी बनाए रखना चाहते हैं।
बिहार चुनाव से पहले नीतीश कुमार और अमित शाह की यह मुलाकात सूबे की राजनीति को नई दिशा दे सकती है। जहां भाजपा अपने संगठन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के सहारे जनता तक पहुंचना चाहती है, वहीं नीतीश कुमार अपनी विकासवादी छवि और लंबे अनुभव को भुनाने की कोशिश करेंगे। आने वाले दिनों में दोनों दल किस तरह सीट बंटवारे और चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देते हैं, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा। इतना तय है कि बिहार की राजनीति में आने वाले महीनों में हलचल और भी तेज होगी और जनता को रोज नए समीकरण देखने को मिलेंगे।