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Bihar DGP orders: केस में नाम जोड़ने-हटाने के खेल पर सख्त हुए डीजीपी, 15 दिन में तय होंगें अभियुक्त नही तो होगी कारवाई

Bihar DGP orders: डीजीपी विनय कुमार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अब 15 दिनों के भीतर अभियुक्त तय करना अनिवार्य होगा, ताकि निर्दोष लोगों को अनावश्यक रूप से फंसाने और डराने की घटनाओं पर लगाम लग सके।

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28-May-2025 10:16 AM

By First Bihar

Bihar DGP orders: बिहार पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) विनय कुमार ने केस में नामजद आरोपियों के नाम जोड़ने और हटाने के मामलों में तेजी से कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।


 राज्यभर से मिल रही लगातार शिकायतों के बाद डीजीपी ने सभी जिलों के पर्यवेक्षी पदाधिकारियों को सख्त आदेश दिया है कि वे प्रत्येक प्राथमिकी या अप्राथमिकी मामले में 15 दिनों के भीतर अभियुक्त तय करें। डीजीपी ने स्पष्ट किया कि जांच की आड़ में किसी निर्दोष व्यक्ति को अनावश्यक रूप से घसीटना या डराकर पैसे वसूलने की घटनाओं को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि कोई अधिकारी 15 दिन के भीतर अभियुक्त तय नहीं करता, तो उसकी जवाबदेही तय की जाएगी और विभागीय कार्रवाई भी की जा सकती है।


रेंज आईजी और डीआईजी को भी मिली निगरानी की जिम्मेदारी

डीजीपी ने रेंज स्तर के आईजी और डीआईजी को भी निर्देश दिया है कि वे अपने अधीनस्थ जिलों में लंबित मामलों की कड़ी निगरानी करें। विशेष रूप से उन मामलों पर नजर रखी जाए जहाँ अभियुक्तों की पहचान अब तक नहीं की गई है या जानबूझकर निर्णय में देरी की जा रही है।


नाम जोड़ने और हटाने के खेल पर लगेगी रोक

खुफिया रिपोर्टों और शिकायतों के अनुसार, कुछ डीएसपी और इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी जांच की प्रक्रिया का सहारा लेकर आरोपियों के नाम एफआईआर में जोड़ते हैं और फिर महीनों तक निर्णय नहीं लेते। इस दौरान आरोपियों को थाने और दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। ऐसी स्थिति में भयादोहन और धन उगाही की घटनाएं भी सामने आई हैं। डीजीपी विनय कुमार ने साफ कहा कि इस तरह के मामलों पर कड़ा एक्शन लिया जाएगा। किसी अधिकारी द्वारा जानबूझकर निर्दोष को फंसाने, या नाम हटाने के एवज में वसूली करने की शिकायत मिलने पर सीधी जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने पर तत्काल कार्रवाई होगी।


न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम

डीजीपी का यह निर्णय बिहार में पुलिस प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी व्यक्ति बिना उचित कारण के लंबे समय तक केस में उलझा न रहे, और वास्तविक दोषियों को ही अभियुक्त बनाया जाए।