Bihar News: बिहार के CRPF जवान की आत्महत्या से हड़कंप, बैरक में सर्विस रायफल से समाप्त की जीवन लीला PSL 2025 Broadcast Suspended: पाकिस्तान के खिलाफ एक और बड़ा फैसला, अब भारत में नहीं दिखेंगे पाक में होने वाले मैच Pahalgam Terrorist Attack: आतंकी हमले में मारे गये IB अफसर मनीष रंजन के परिजनों से मिली पवन सिंह की पत्नी, बोलीं..कायराना हरकत करने वालों को दें मुंहतोड़ जवाब Bihar News: बिहार के एक SDO को नहीं मिली राहत, DM की रिपोर्ट पर मिली थी सजा Cricket News: “युवराज उसे क्रिस गेल बना देगा”, अर्जुन तेंदुलकर पर योगराज सिंह का बड़ा बयान, फैंस बोले “चाचा, वो गेंदबाज है” Bihar News: पुलिस के खिलाफ DM का बड़ा एक्शन, 39 थानेदारों की सैलरी रोकी; जानिए.. क्या है वजह? Bihar News: पुलिस के खिलाफ DM का बड़ा एक्शन, 39 थानेदारों की सैलरी रोकी; जानिए.. क्या है वजह? पहलगाम हमले के आतंकवादियों पर भड़के असदुद्दीन ओवैसी, कहा..ये कुत्ते कमीने नाम और मजहब पूछकर निर्दोष लोगों को मार रहे थे Pahalgam Terror Attack: भारत में रिलीज नहीं होगी पाकिस्तानी एक्टर फवाद खान की फिल्म, पहलगाम हमले के बाद बड़ा फैसला Premanand Maharaj on Pahalgam Attack: पहलगाम हमले पर बोले प्रेमानंद महाराज, बताया आतंकियों के साथ क्या करना चाहिए?
20-Apr-2025 03:49 PM
By First Bihar
Bihar News: बिहार के 59 पारंपरिक उत्पादों को जल्द ही जीआई टैग मिल सकता है। बिहार की सांस्कृतिक पहचान और विरासत को विश्व पटल पर पहुंचाने के लिए लगातार कोशिशें की जा रही है। इसी बीच बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने इसको लेकर बड़ी पहल की है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने 59 उत्पादों को जीआई टैग दिलाने की तैयारी तेज कर दी है।
दरअसल, बिहार के पांच उत्पाद— जर्दालू आम, कतरनी चावल, मिथिला मखाना, शाही लीची और मगही पान को जीआई टैग मिल चुका है। बीएयू का मानना है कि राज्य की पहचान सत्तू जैसे कई अन्य पारंपरिक उत्पादों से भी जुड़ी हुई है। इन उत्पादों से जुड़े लोगों को पहले कोई विशेष लाभ नहीं मिल पाता था लेकिन जीआई टैग मिलने के बाद मखाना की कीमत में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है और इसके विभिन्न उत्पाद देश-विदेश तक भेजे जा रहे हैं।
इन उत्पादों की बढ़ती मांग का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिहार के बहुत से लोग खुद जर्दालू आम, शाही लीची या कतरनी चावल चख भी नहीं पाते क्योंकि इनकी भारी डिमांड रहती है। अब बीएयू की कोशिश है कि बाकी 59 उत्पादों को भी जीआई टैग दिलाकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाया जाए। बीएयू के कुलपति डॉ. दुनियाराम सिंह का मानना है कि प्रदेश की सांस्कृतिक और कृषि विरासत को नई पहचान मिलनी चाहिए।
नाबार्ड के आर्थिक सहयोग से बिहार कृषि विश्वविद्यालय में एक जीआई फैसिलिटी सेंटर की स्थापना की गई है। विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. ए.के. सिंह के नेतृत्व में वरिष्ठ वैज्ञानिकों की एक टीम इस परियोजना पर कार्यरत है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य यह है कि समय की धूल में गुम हो चुके बिहार के पारंपरिक उत्पादों की खोज की जाए, उन्हें चिन्हित किया जाए और उनके उत्पादन से जुड़े लोगों को संगठित कर उन्हें इसका अधिकार दिलाया जाए।
इन उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान दिलाने के लिए तय मापदंडों के अनुसार प्रमाणिकता से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेज तैयार किए जाते हैं और फाइल जीआई रजिस्ट्रेशन कार्यालय को भेजी जाती है। यदि किसी प्रकार की आपत्ति नहीं आती, तो संबंधित उत्पाद को जीआई टैग मिल जाता है।
अब तक विश्वविद्यालय कतरनी चावल, मगही पान, जर्दालू आम, शाही लीची और मिथिला मखाना जैसे पांच प्रमुख कृषि उत्पादों को जीआई टैग दिलाने में सफल रहा है। पिछले वर्ष एक उच्च स्तरीय टीम गठित की गई, जिससे इस प्रक्रिया को तेजी मिली है। 59 उत्पादों की पहचान की जा चुकी है, जिनमें से एक दर्जन उत्पादों के लिए आवेदन पहले ही जीआई कार्यालय में भेजे जा चुके हैं और एक दर्जन अन्य प्रक्रियाधीन हैं। अगले चरण में 30 और उत्पादों को जीआई टैग के लिए कतार में लाया जाएगा।