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09-May-2025 11:37 AM
By First Bihar
Bihar News: भारतीय सेना द्वारा आतंकवाद के खात्मे के लिए हाल ही में चलाया गया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न केवल सामरिक दृष्टि से एक बड़ी सफलता है, बल्कि यह देशवासियों के दिलों से भी गहरे जुड़ गया है। इस ऐतिहासिक अभियान की गूंज बिहार के मुजफ्फरपुर तक सुनाई दी, जहां के एक अस्पताल में जन्मे 47 नवजातों में से 13 को उनके परिजनों ने 'सिंदूर' नाम रख दिया है।
यह नाम केवल एक सैन्य अभियान की स्मृति नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रप्रेम, बलिदान और साहस का प्रतीक बन गया है। इन नवजातों के माता-पिता की भावना है कि उनके बच्चे बड़े होकर भारतीय सेना में भर्ती हों और देश की सेवा करें। पवन सोनी, जो जाफरपुर के निवासी हैं, उन्हें यहां मंगलवार को पुत्र का जन्म हुआ। उन्होंने कहा कि हमने बेटे का नाम 'सिंदूर' रखा है। यह सिर्फ नाम नहीं, बल्कि भारतीय सेना के शौर्य और हमारी उम्मीदों का प्रतीक है।
इसी तरह, हिमांशु राज जो कन्हारा से हैं उन्होंने अपनी नवजात बेटी को 'सिंदूर' नाम दिया। वे कहते हैं, हर साल बेटी के जन्मदिन के साथ हम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता का जश्न भी मनाएंगे। यह हमारे लिए गर्व का क्षण है जब सेना ने दुश्मनों को करारा जवाब दिया। अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि यह पहली बार है जब इतने सारे बच्चों को किसी सैन्य अभियान के नाम पर एक साथ नाम दिया गया है। "यह दर्शाता है कि मुजफ्फरपुर जैसे शहर में भी सेना के प्रति गहरा सम्मान और भावनात्मक जुड़ाव है।"
बताया जाता है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सेना द्वारा जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर चलाया गया एक रणनीतिक मिशन था। यह कार्रवाई उन आतंकियों के खिलाफ थी, जिन्होंने निर्दोष नागरिकों और विशेषकर महिलाओं को निशाना बनाकर घाटी में खौफ फैलाने की कोशिश की थी। सेना की इस जवाबी कार्रवाई में कई आतंकियों को मार गिराया गया, जिससे क्षेत्र में शांति की बहाली संभव हुई। इस अभियान का नाम 'सिंदूर' इसलिए रखा गया क्योंकि यह महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के लिए लड़ा गया युद्ध था विशेष रूप से उन बहनों के लिए, जिनके सिंदूर को आतंकवादियों ने अपवित्र करने की कोशिश की।
इस अभियान और उसके नाम को लेकर पूरे देश में भावनात्मक लहर देखने को मिल रही है। सोशल मीडिया पर #OperationSindoor ट्रेंड कर रहा है। कई लोगों ने इसे नारी सम्मान, राष्ट्र सुरक्षा और सेना के पराक्रम का संगम बताया है। इन नवजातों के नामकरण की यह पहल निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी कि वे देशभक्ति को सिर्फ किताबों या भाषणों तक सीमित न रखें, बल्कि अपने जीवन के हर हिस्से में उसका सम्मान करें।