मुजफ्फरपुर में बेपटरी हुई मालगाड़ी, बाल-बाल बचा रेल कर्मी, ट्रेनों का परिचालन बाधित Bihar News: नहाने के दौरान डूबने से दो लड़कियों की मौत, दादा को खाना पहुंचाने गई थीं दोनों बच्चियां आरा में 22 जून को 'संत सम्मेलन' का आयोजन, जन जागरण सेवा कल्याण संस्थान का कार्यक्रम JDU विधायक के भांजे की हत्या का खुलासा, मुख्य आरोपी गिरफ्तार, प्रॉपर्टी के लिए छोटे भाई ने घटना को दिया था अंजाम Bihar News: काली कमाई से अकूत संपत्ति बनाने वाले अपराधियों की खैर नहीं, इस नए कानून को हथियार बनाएगी बिहार पुलिस Bihar News: काली कमाई से अकूत संपत्ति बनाने वाले अपराधियों की खैर नहीं, इस नए कानून को हथियार बनाएगी बिहार पुलिस IOCL में प्रबंधन की तानाशाही के खिलाफ आमरण अनशन, पूर्वी क्षेत्र के सभी लोकेशनों पर विरोध प्रदर्शन जारी Patna Metro: यहां बनेगा पटना मेट्रो का सबसे बड़ा अंडरग्राउंड स्टेशन, हर दिन 1.41 लाख यात्री करेंगे सफर Patna Metro: यहां बनेगा पटना मेट्रो का सबसे बड़ा अंडरग्राउंड स्टेशन, हर दिन 1.41 लाख यात्री करेंगे सफर Bihar News: गयाजी के सूर्यकुंड तालाब में सैकड़ों मछलियों की मौत, भीषण गर्मी या है कोई और वजह?
19-Apr-2025 07:43 PM
By First Bihar
Bihar News: बिहार के गया का पटवा टोली बुनकरों की बस्ती है. बुनकरों की बस्ती अब भी इंजीनियरों के गढ़ माना जाता है, क्योंकि यहां हर साल बच्चे इंजीनियर बनते हैं. इस बार जेईई मेंस 2 के रिजल्ट में भी में पटवा टोली के बच्चों का जलवा देखने को मिला है.
इस बार भी 40 से अधिक बच्चों ने इस परीक्षा में क्वालीफाई किया है और अब 18 मई को होने वाले जेईई एडवांस्ड की परीक्षा में शामिल हो सकेंगे. इस तरह बुनकरो की बस्ती पटवा टोली ने एक बार फिर कमाल किया है. पटवा टोली के सागर कुमार ने जेईई मेंस 2 की परीक्षा में सफलता हासिल की है. जेईई मेंस 2 की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं. सागर कुमार को जेईई मेंस 2 का रिजल्ट में 94.8 अंक प्राप्त हुए हैं. सागर कुमार की सफलता की हैरान करने वाली कहानी है. जब इसने होश भी नहीं संभाला था, तो इसके पिता गुजर गए थे.
पिता की मौत के बाद सागर को बुनकरों की इस नगरी में सहारा मिला और इस गरीब बच्चे ने जेईई मैंस टू के रिजल्ट में भी सफलता हासिल की है. इसका कहना है, कि वह इंजीनियर बनकर देश की सेवा करना चाहता है. सागर कुमार ने बताया कि उसके पिता की मौत हो गई थी. वृक्ष संस्था जो कि पटवा टोली में बुनकरों के बच्चों के लिए काम करती है, इसका सहारा मिला और यही पढ़ाई शुरू कर दी. उसे सफलता मिली है. इसकी उसे बड़ी खुशी है. बताया कि दादी भी काम करती है, तब जाकर घर का गुजारा हो पाता है.
वही अस्मिता कुमारी भी गरीब घर से आती है, लेकिन इस गरीब बेटी की प्रतिभा ने लोहा मनवाया है. अस्मिता कुमारी बताती है, कि उसके पिता बुनकर है. मां भी सूत कातने का काम करती है. काफी गरीब परिवार से हम लोग हैं. आर्थिक स्थिति खराब रहती है, लेकिन इसके बीच उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी. लगातार 12 घंटे तक मेहनत कर इस परीक्षा में सफलता आई है. वह आगे जाकर एक सफल इंजीनियर बनना चाहती है और देश का नाम रोशन करना चाहती है.
रिपोर्ट-