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Rangbhari Ekadashi 2025: रंगभरी एकादशी कब है, भगवान शिव और माता पार्वती की होली का शुभ पर्व

सनातन धर्म में एकादशी व्रत का अत्यधिक महत्व होता है, जिसे हर महीने दो बार—कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में रखा जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है, जिसे रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

Rangbhari Ekadashi 2025

06-Mar-2025 06:30 AM

By First Bihar

Rangbhari Ekadashi 2025: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है, जिसे हर महीने दो बार रखा जाता है—एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है, जिसे रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती अपने भक्तों संग होली खेलते हैं, जिससे इस दिन से होली के उत्सव की शुरुआत मानी जाती है।


रंगभरी एकादशी 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त

सनातन वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 9 मार्च को सुबह 7:45 बजे से हो रही है, जो 10 मार्च को सुबह 7:48 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार रंगभरी एकादशी 10 मार्च को मनाई जाएगी और इसी दिन व्रत भी रखा जाएगा।


भगवान शिव और माता पार्वती को रंग और गुलाल अर्पित करने का सबसे शुभ समय:

दोपहर 3:31 बजे से 5:46 बजे तक

शाम 6:01 बजे से 7:15 बजे तक


रंगभरी एकादशी का धार्मिक महत्व

रंगभरी एकादशी का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ा है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन काशी में भगवान शिव माता पार्वती के साथ रंगों से होली खेलते हैं। यही कारण है कि काशी में रंगभरी एकादशी का विशेष आयोजन होता है और इस दिन से होली के उत्सव की शुरुआत मानी जाती है। इस दिन भगवान शिव और माता गौरी की पूजा करने, गुलाल अर्पण करने और सोलह श्रृंगार चढ़ाने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है।


रंगभरी एकादशी के शुभ उपाय

1. वैवाहिक जीवन की समस्याओं से मुक्ति

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन माता गौरी को सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पण करने से वैवाहिक जीवन के सभी दोष दूर होते हैं और दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।

2. आर्थिक समृद्धि के लिए

इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने के साथ घर के मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़कना शुभ माना जाता है। इससे घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।

3. संतान सुख की प्राप्ति

जो दंपत्ति संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, उन्हें इस दिन शिव-पार्वती मंदिर में जाकर पूजा करनी चाहिए और भगवान शिव को पीला चंदन अर्पित करना चाहिए।

4. मानसिक शांति और स्वास्थ्य के लिए

इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव का अभिषेक करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मन में शांति बनी रहती है।


रंगभरी एकादशी की पूजा विधि

प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

व्रत का संकल्प लेकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।

शिवलिंग पर जल, दूध, शहद और गंगा जल से अभिषेक करें।

भगवान शिव और माता गौरी को चंदन, गुलाल, अक्षत, फल और मिठाई अर्पित करें।

भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें और शिव चालीसा का पाठ करें।

गरीबों को भोजन और वस्त्र का दान करें।


रंगभरी एकादशी भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन व्रत करने, पूजन करने और विशेष उपायों को अपनाने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। काशी में इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव के साथ भक्त रंगों की होली खेलते हैं, जिससे इस पर्व का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व और अधिक बढ़ जाता है।