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05-Aug-2025 02:05 PM
By First Bihar
Sawan Special: कल सावन का आखिरी सोमवार था, जो भगवान शिव की उपासना के लिए अत्यंत पावन माना जाता है। इस दिन शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है, क्योंकि ऐसा विश्वास है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा से सुख-समृद्धि, सौभाग्य और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। भारत में भगवान शिव के अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिनकी आध्यात्मिक महत्ता बहुत अधिक है। इनमें से एक अनूठा मंदिर कर्नाटक के कोलार जिले के कामां सांद्रा गांव में स्थित कोटिलिंगेश्वर धाम है, जो एशिया के सबसे ऊंचे शिवलिंग के लिए विश्वविख्यात है।
कोटिलिंगेश्वर धाम का शिवलिंग 108 फीट ऊंचा है और इसे दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग माना जाता है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां करोड़ों छोटे-छोटे शिवलिंग भी स्थापित हैं। यह परंपरा है कि जब किसी भक्त की मनोकामना पूरी हो जाती है, तो वह अपनी क्षमता के अनुसार 1 से 3 फीट तक का शिवलिंग यहां लगवाता है। इसके अलावा, मंदिर परिसर में इस विशाल शिवलिंग के सामने 35 फीट ऊंची नंदी की भव्य प्रतिमा भी मौजूद है, जो मंदिर की शोभा को और बढ़ाती है।
मंदिर परिसर में कुल 12 मंदिर हैं, जिनमें मुख्य मंदिर कोटिलिंगेश्वर के अलावा ब्रह्माजी, विष्णुजी, अन्नपूर्णेश्वरी देवी, वेंकटरमणि स्वामी, पांडुरंगा स्वामी, पंचमुख गणपति, और राम, लक्ष्मण तथा सीता के मंदिर शामिल हैं। यहां की विशेष मान्यता यह भी है कि मंदिर परिसर में लगे दो वृक्षों पर पीला धागा बांधने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, खासकर विवाह संबंधी अड़चनें दूर हो जाती हैं। इसके साथ ही, मंदिर प्रशासन गरीब परिवारों की कन्याओं के विवाह का आयोजन नाममात्र शुल्क पर करता है और श्रद्धालुओं के लिए रहने-खाने की भी उत्तम व्यवस्था करता है।
कोटिलिंगेश्वर धाम श्रद्धालुओं के लिए आस्था और चमत्कार का केंद्र माना जाता है। यहां आने वाले भक्तों को भगवान शिव की प्रतिमा के दर्शन से ऐसा अनुभव होता है मानो वे स्वयं शिव के साक्षात दर्शन कर रहे हों। महाशिवरात्रि के अवसर पर यह मंदिर विशेष रूप से आकर्षक हो जाता है, जब लाखों श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं और पुण्य कमाते हैं। इस प्रकार, कोटिलिंगेश्वर धाम न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक रूप से भी एक महत्वपूर्ण स्थल है जो लोगों को आध्यात्मिक शांति के साथ-साथ समाज सेवा का भी संदेश देता है।