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22-Jan-2025 11:28 PM
By First Bihar
Hindu Worship: भारतीय संस्कृति में पूजा-पाठ का आरंभ संकल्प से होता है। संकल्प का अर्थ है किसी उद्देश्य या मनोकामना को ध्यान में रखते हुए पूजा करने का दृढ़ निश्चय। यह हमारी पूजा विधि का पहला और अति महत्वपूर्ण चरण है, जिसमें हम अपने मन, वचन, और कर्म से भगवान के प्रति अपनी आस्था और श्रद्धा प्रकट करते हैं।
संकल्प करते समय भक्त अपनी पूजा की मंशा स्पष्ट रूप से व्यक्त करता है। वह भगवान से अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करता है। संकल्प के दौरान जल, चावल, और फूल को हाथ में लेकर भगवान का ध्यान किया जाता है, जिससे भक्त का मन एकाग्र होता है।
संकल्प से जुड़ी परंपराएं और प्रक्रिया
संकल्प का आरंभ:
संकल्प की शुरुआत प्रथम पूज्य भगवान गणेश के समक्ष होती है।
इसमें भक्त अपना नाम, गोत्र, स्थान, तिथि, और पूजा का उद्देश्य बताता है।
संकल्प का महत्व:
संकल्प के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
यह पूजा में अनुशासन, एकाग्रता, और दृढ़ता लाने का प्रतीक है।
भक्त अपनी पूजा को बिना किसी विघ्न के पूरा करने का निश्चय करता है।
विधि और मान्यता:
संकल्प के बाद गणपति पूजन होता है और फिर मुख्य पूजा शुरू की जाती है।
मान्यता है कि संकल्प से विधिवत पूजा संपन्न होती है, और इसका शुभ फल प्राप्त होता है।
पौराणिक कथाओं में संकल्प का महत्व
राजा पृथु की कथा:
राजा पृथु ने अपनी प्रजा के कल्याण के लिए यज्ञ किया था। उन्होंने यज्ञ से पहले संकल्प लिया कि यह पूजा केवल प्रजा की भलाई के लिए है। उनके इस संकल्प से पृथ्वी पर सुख-शांति आई, और उन्हीं के नाम पर धरती का नाम ‘पृथ्वी’ पड़ा।
श्रीराम का यज्ञ:
रामायण में भगवान श्रीराम ने रावण का वध करने से पहले धर्म की रक्षा हेतु यज्ञ किया। यज्ञ के आरंभ में उन्होंने संकल्प लिया कि यह अधर्म के नाश और धर्म की स्थापना के लिए है।
अर्जुन का संकल्प:
महाभारत में श्रीकृष्ण के उपदेश से अर्जुन ने संकल्प लिया कि वे धर्म के मार्ग पर चलकर पूरी निष्ठा से युद्ध करेंगे। इस संकल्प के साथ अर्जुन ने महान विजय प्राप्त की।
संकल्प से बढ़ती है संकल्प शक्ति
पूजा की परंपरा में संकल्प लेने से व्यक्ति की मानसिक दृढ़ता और संकल्प शक्ति मजबूत होती है। यह आदत उसे जीवन में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है। जब कोई व्यक्ति पूजा में संकल्प लेकर उसे पूरी निष्ठा से निभाता है, तो यह उसके आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है।
संकल्प पूजा का पहला चरण है, जो इसे पवित्रता और अनुशासन प्रदान करता है। यह न केवल भक्त और भगवान के बीच संवाद का माध्यम है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में संकल्प शक्ति को प्रबल बनाने का साधन भी है। पौराणिक कथाएं हमें यह सिखाती हैं कि संकल्प से ही हर बड़ी सफलता की शुरुआत होती है। पूजा में लिया गया संकल्प हमारे मन को अनुशासित करता है और जीवन के हर क्षेत्र में विजय की ओर अग्रसर करता है।