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22-Aug-2025 01:33 PM
By First Bihar
Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी भारत के प्रमुख और लोकप्रिय त्योहारों में से एक है, जो हर साल भक्ति, प्रेम और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणपति बप्पा का घर-घर में स्वागत ढोल-नगाड़ों और भजन-कीर्तन के साथ किया जाता है। विशेष रूप से महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इस त्योहार की भव्यता देखने लायक होती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी 2025 की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 26 अगस्त को दोपहर 01:54 बजे से होगा और इसका समापन 27 अगस्त को दोपहर 03:44 बजे होगा। चूंकि त्योहार उदयातिथि के अनुसार मनाया जाता है, इसलिए इस वर्ष गणेश चतुर्थी 27 अगस्त 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी। गणपति बप्पा का विसर्जन परंपरागत रूप से अनंत चतुर्दशी के दिन होता है, जो इस वर्ष 7 सितंबर 2025 (रविवार) को पड़ रही है।
हर साल भक्तों के मन में यह सवाल उठता है कि बप्पा को घर में कितने दिन रखा जाए? इसका कोई निश्चित उत्तर नहीं है, क्योंकि यह परंपरा, श्रद्धा और सुविधा पर आधारित होता है। अलग-अलग घरों में भक्ति की भावना के अनुसार गणपति की स्थापना की अवधि अलग होती है।
1. डेढ़ दिन गणपति
यह सबसे छोटी लेकिन भावपूर्ण परंपरा है, जिसमें बप्पा को एक दिन से अधिक और दो दिन से कम यानी डेढ़ दिन तक घर में विराजमान किया जाता है। इस परंपरा में जल्दी विदाई देकर अगले वर्ष पुनः आमंत्रण का संकल्प लिया जाता है।
2. तीन दिन गणपति
यह परंपरा विशेष रूप से व्यस्त या कामकाजी परिवारों के बीच लोकप्रिय है। तीन दिन तक भक्ति, पूजा, प्रसाद और उत्सव के बाद गणपति बप्पा का विसर्जन किया जाता है।
3. पांच दिन गणपति
मान्यता है कि पांच दिनों तक बप्पा को घर में रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि आती है। इस अवधि में श्रद्धालु मित्रों और रिश्तेदारों को आमंत्रित करते हैं और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होते हैं।
4. सात दिन गणपति
सप्ताहभर तक गणपति बप्पा का वास आस्था और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इस दौरान घर में लगातार भजन-कीर्तन, पूजा और प्रसाद वितरण के कार्यक्रम चलते हैं, जिससे पूरे माहौल में आध्यात्मिकता और आनंद बना रहता है।
5. ग्यारह दिन गणपति
यह गणेश चतुर्थी की सबसे पारंपरिक और व्यापक रूप से अपनाई जाने वाली परंपरा है। महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के कई राज्यों में ग्यारह दिन तक गणपति बप्पा की पूजा होती है। अंतिम दिन, अनंत चतुर्दशी को बप्पा का भव्य विसर्जन किया जाता है। इस दिन पूरे समाज में भक्ति, आनंद और सांस्कृतिक एकता की झलक देखने को मिलती है।
गणेश चतुर्थी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि श्रद्धा, संस्कृति और एकता का उत्सव है। चाहे बप्पा डेढ़ दिन के लिए आएं या ग्यारह दिन के लिए, भक्तों की आस्था और प्रेम ही उन्हें विशेष बनाता है। इस बार भी गणेशोत्सव पूरे देश में उत्साह, नियम और भक्ति के साथ मनाया जाएगा।