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05-Mar-2025 08:37 PM
By First Bihar
Dharm News: रमजान का पवित्र महीना शुरू हो चुका है, जो मुस्लिम समुदाय के लिए विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। इस महीने में खुदा की इबादत के साथ-साथ रोजे रखने की परंपरा है, जिसमें पूरे दिन बिना भोजन और पानी के उपवास रखा जाता है। रमजान का उद्देश्य सिर्फ भूखा-प्यासा रहना नहीं, बल्कि आत्मसंयम, धैर्य और नेकी के मार्ग पर चलना है।
रोजा: भक्ति और संयम का प्रतीक
रमजान के दौरान रोजेदार सुबह सेहरी के साथ रोजे की शुरुआत करते हैं और सूर्यास्त के बाद इफ्तार के समय उपवास खोलते हैं। यह सिलसिला पूरे 30 दिनों तक चलता है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान किए गए हर अच्छे कार्य का सवाब (पुण्य) कई गुना बढ़ जाता है और अल्लाह की रहमत रोजेदारों पर बनी रहती है।
पैगंबर साहब और खजूर का महत्व
इस्लामिक परंपरा के अनुसार, पैगंबर हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) को खजूर अत्यधिक प्रिय था और वे हमेशा खजूर और पानी से अपना रोजा खोलते थे। तब से यह परंपरा चली आ रही है। खजूर से रोजा खोलने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं, क्योंकि यह प्राकृतिक शुगर से भरपूर होता है, जो दिनभर की भूख-प्यास के बाद शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है।
रमजान: नेकियों का महीना
रमजान को नेकियों का महीना भी कहा जाता है। इस महीने में विशेष दुआएं पढ़ी जाती हैं, गरीबों की मदद की जाती है और जरूरतमंदों को जकात (दान) दी जाती है। रमजान के दौरान नमाज और कुरान पढ़ने का विशेष महत्व होता है। इस दौरान बुरी आदतों से बचने और अच्छे कार्यों को अपनाने की सीख दी जाती है।
रोजे से आत्मसंयम और धैर्य की परीक्षा
रोजा सिर्फ भूखा और प्यासा रहने का नाम नहीं, बल्कि यह मन, वचन और कर्म की शुद्धि का प्रतीक है। रोजे के दौरान गुस्सा, बुरी बातें और गलत कार्यों से बचने की हिदायत दी जाती है। यह आत्मसंयम, धैर्य और आत्मअनुशासन का सबसे बड़ा उदाहरण है।
रमजान का समापन: ईद-उल-फितर
30 दिनों तक रोजे रखने के बाद रमजान का समापन ईद-उल-फितर के त्योहार से होता है, जिसे खुशी और भाईचारे का पर्व माना जाता है। इस दिन विशेष नमाज अदा की जाती है, घरों में मीठे पकवान बनाए जाते हैं और एक-दूसरे को गले मिलकर ईद की बधाई दी जाती है। रमजान सिर्फ इबादत का महीना ही नहीं, बल्कि यह हमें धैर्य, सहनशीलता और जरूरतमंदों की मदद करने की सीख भी देता है। इस पवित्र महीने में किए गए अच्छे कार्य और सच्चे दिल से की गई दुआएं अल्लाह द्वारा कबूल की जाती हैं।