तेजस्वी यादव का समस्तीपुर दौरा, ‘बिहार अधिकार यात्रा’ में दिखेगा जनसैलाब; इस प्लान से बढ़ेगी नीतीश की टेंशन Bihar News: बिहार में ड्राइवरों को हाइवे किनारे मिलेगी ये तमाम सुविधाएं, परिवहन विभाग का निर्देश जारी India First Malaria Vaccine: मलेरिया से बचाव के लिए भारत ने बनाई पहली वैक्सीन, जानिए… कितना है असरदार? Bihar News: त्योहारों में बिहार से दिल्ली के लिए चलेंगी 5 दर्जन से अधिक बसें, कितना होगा किराया और कितना लगेगा समय? जानिए सब.. Bihar News: अब बिहार से दिल्ली जाना हुआ आसान, इस दिन से उड़ानें शुरू; जानिए कब से कर सकते हैं बुकिंग? Bihar News: इंटर पास छात्राओं के लिए ₹25,000 पाने का आखिरी मौका, बढ़ाई गई रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि Bihar News: नेपाल से सटे सीमावर्ती जिलों में जमीन रजिस्ट्री के जरिए काले धन का बड़ा खेल, आयकर विभाग ने शुरू की जांच Bihar Weather: बिहार के 30 से ज्यादा जिलों में आज बारिश की संभावना, IMD ने जारी किया अलर्ट Road Accident: बिना नंबर की कार ने मचाया कोहराम, कई लोग घायल गयाजी में किसान सम्मेलन का आयोजन, सूरज यादव ने किसानों की आवाज़ बनने का लिया संकल्प
17-Dec-2024 10:46 PM
By First Bihar
देशभर में नॉर्मलाइजेशन को लेकर छात्र समुदाय के बीच गहरा असंतोष देखने को मिल रहा है। हाल ही में उत्तर प्रदेश और बिहार में छात्रों द्वारा इसे लेकर बड़े स्तर पर आंदोलन किए गए। खासतौर पर बिहार में बीपीएससी परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन लागू होने के बाद इस प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर नॉर्मलाइजेशन क्या है, यह कैसे काम करता है और क्यों कैंडिडेट्स इसका विरोध कर रहे हैं।
क्या है नॉर्मलाइजेशन?
नॉर्मलाइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका इस्तेमाल तब किया जाता है जब किसी परीक्षा का आयोजन एक दिन में संभव नहीं हो पाता या परीक्षा एक से अधिक पालियों में आयोजित की जाती है। अलग-अलग पाली में प्रश्नों के स्तर में फर्क हो सकता है, ऐसे में नॉर्मलाइजेशन का उद्देश्य सभी अभ्यर्थियों को समान अंक देना होता है।
बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के संदर्भ में, प्रसिद्ध शिक्षक और यूट्यूबर खान सर का कहना है कि, "सामान्यीकरण तब लागू किया जाता है जब परीक्षा कई पालियों में होती है। यदि अलग-अलग क्षेत्रों में छात्रों को अलग प्रश्न पत्र दिए जाते हैं, तो उनके अंकों में अंतर स्वाभाविक है। हालांकि, यह फॉर्मूला गणित विषय में लागू हो सकता है लेकिन सामान्य अध्ययन जैसे विषयों में इसका उपयोग अनुचित है। यह छात्रों के साथ भेदभाव पैदा करता है।"
कैसे काम करता है नॉर्मलाइजेशन?
जब परीक्षा एक से अधिक पालियों में होती है, तो प्रत्येक पाली में छात्रों द्वारा प्राप्त अंकों का विश्लेषण किया जाता है।
इसके बाद आसान पाली के अंकों को कठिन पाली के अंकों के साथ समायोजित (adjust) किया जाता है।
नॉर्मलाइजेशन के बाद सभी अभ्यर्थियों को एक समान स्तर पर रखा जाता है और इसके आधार पर फाइनल रिजल्ट घोषित किया जाता है।
विवाद का कारण
नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया को लेकर छात्रों की मुख्य आपत्तियां हैं:
भेदभाव की संभावना:
जब अलग-अलग पालियों में प्रश्नों का कठिनाई स्तर भिन्न होता है, तो जिन छात्रों ने कठिन प्रश्न हल किए होते हैं, उन्हें उनके ज्ञान के मुताबिक अंक नहीं मिल पाते। दूसरी ओर, आसान प्रश्न वाले अभ्यर्थियों के अंक बढ़ा दिए जाते हैं।
मेहनती छात्रों के साथ अन्याय:
छात्रों का कहना है कि नॉर्मलाइजेशन के चलते कई बार कमजोर प्रदर्शन करने वाले अभ्यर्थियों के अंक अधिक हो जाते हैं, जबकि मेहनती और अच्छे अभ्यर्थी बिना किसी गलती के पीछे रह जाते हैं।
समान ज्ञान की अवधारणा गलत:
लाखों छात्रों के बीच ज्ञान का स्तर समान नहीं हो सकता। ऐसे में सभी को एक ही पैमाने पर आंकना उचित नहीं है।
वास्तविक प्रतिभा का नुकसान:
यह प्रक्रिया असल ज्ञान की बजाय अंक समायोजन पर आधारित होती है, जिससे वास्तविक टैलेंट की पहचान मुश्किल हो जाती है।
छात्रों की मांग
छात्रों का मुख्य तर्क है कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया की समीक्षा की जाए और इसे पारदर्शी और सटीक बनाया जाए। इसके अलावा, यदि किसी परीक्षा का आयोजन एक ही दिन में किया जाए तो इससे नॉर्मलाइजेशन की जरूरत ही खत्म हो जाएगी।