Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज, BLA प्रशिक्षण का तीसरा चरण सम्पन्न Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज, BLA प्रशिक्षण का तीसरा चरण सम्पन्न Bihar Crime News: मामूली बात पर पति से हुई तीखी नोकझोंक, नाराज महिला ने उठा लिया बड़ा कदम Bihar Crime News: बिहार में रिटायर्ड चौकीदार की बेरहमी से हत्या, घर के बाहर ही बदमाशों ने ले ली जान Bihar Crime News: बिहार में रिटायर्ड चौकीदार की बेरहमी से हत्या, घर के बाहर ही बदमाशों ने ले ली जान Bihar Weather Update: खुश हो जाइए! फिर बदलने वाला है बिहार का मौसम, IMD ने जारी किया अलर्ट UPSC Exam Calender 2026: UPSC परीक्षा 2026 का कैलेंडर जारी, जानिए.. कब होंगी ये महत्वपूर्ण परीक्षाएं UPSC Exam Calender 2026: UPSC परीक्षा 2026 का कैलेंडर जारी, जानिए.. कब होंगी ये महत्वपूर्ण परीक्षाएं Donald Trump Apple India: क्या भारत में Apple iPhone का प्रोडक्शन बंद हो जाएगा? ट्रंप के बयान ने मचा दी हलचल... Bihar Politics: ‘भारत-पाकिस्तान के बीच अमेरिका की मध्यस्थता देश का अपमान’ खगड़िया में बोले मुकेश सहनी
05-Oct-2020 08:18 PM
By
PATNA : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों को टिकट दे रही हैं। कैंडिडेट्स को सिंबल बांटा जा रहा है। इसी कड़ी में कई ऐसे नेताओं को झटका भी लगा है, जो टिकट पाने की आस लगाए बैठे थे। जेडीयू से टिकट नहीं मिलने के कारण चकाई के पूर्व विधायक सुमित कुमार काफी स्तब्ध हैं। उन्होंने कहा है कि स्पष्ट हो गया कि प्रचलित राजनीति अब सिर्फ तिल-तिकड़म का अखाड़ा रह गया है।
चकाई सीट से पूर्व विधायक सुमित कुमार सिंह ने टिकट कटने के बाद कहा है कि निःशब्द हूं, स्तब्ध हूं। स्पष्ट हो गया कि प्रचलित राजनीति अब सिर्फ तिल-तिकड़म का अखाड़ा रह गया है। यहां चंद लोग लोकतंत्र को अपनी चेरी बनाकर रखना चाहते हैं। क्या मुझे ऐसी राजनीति करनी चाहिए? लेकिन मुझ से इस जन्म में ऐसी गंदी राजनीति नहीं हो सकती है। मैं मिट जाऊंगा लेकिन ऐसी सियासत कदापि नहीं करूंगा। सियासत मेरा शौक नहीं है। कुछ कर गुजरने का जरिया है, सोनो-चकाई, जमुई जिला और अंग क्षेत्र को एक नई ऊंचाई देने का माध्यम मात्र है। इसका निर्वाह अगर जब नहीं होगा तो वैसी सियासत से मेरा दूर-दूर तक वास्ता न है, न रहेगा।
मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है ? हर बार मेरा टिकट ही क्यों काटा जाता है? मुझे दलीय उम्मीदवारी से वंचित कर जनतंत्र को हरण करने का खेल कौन करता है? क्या जनता जनप्रतिनिधि तय करेंगे या चंद परजीवी चीलर किस्म के नेता? मेरे साथ जनता का जो स्नेह संबंध है उससे किन हवा हवाई नेताओं को जलन होती है, यह आप जानते हैं! जनता से मेरा रिश्ता इन्हें बेचैन कर दे रही है, तो क्या मैं इससे अपना स्वभाव बदल लूं?
क्या यह मेरा अपराध है? क्या यह मेरी गलती है कि मैं जनता जनार्दन को जनतंत्र का असली मुखिया मानता हूं? क्या यह मेरा अपराध है कि मैं गणेश परिक्रमा के बजाय जनता के बीच मर-मिटने को अपना जीवन धर्म मानता हूं? क्या यह मेरा अपराध है कि विकास को राजनीति का आधार मानता हूं? क्या यह मेरा अपराध है कि मैं जाति-धर्म से परे राजनीति करता हूं? क्या यह मेरा जुर्म है कि मैं अपने चकाई-सोनो को सबसे आगे देखना चाहता हूं?
सोनो-चकाई मेरा दीन धर्म, ईमान है। जिस मिट्टी ने मुझे पहचान दी उससे कोई मुझे दूर नहीं कर सकता है। बिहार के इस अंतिम विधानसभा क्षेत्र को राज्य का सर्वश्रेष्ठ विधानसभा क्षेत्र बनाने की मेरी दिली ख्वाहिश से न जाने किसे बैर है? मुझे ऐसी गंदी राजनीति नहीं करनी है। मुझे ऐसी सियासत पसंद नहीं है जिसमें सिर्फ निज स्वार्थ और अहंकार की तुष्टि ही मूल लक्ष्य है। मेरी राजनीति के प्राणवायु तो चकाई-सोनो की आम जनता का हित है। उसके सर्वस्व न्योछावर, सब कुछ कुर्बान है।
इससे किसी को क्या बैर है कि चकाई-सोनो मानव विकास सूचकांक में सबसे आगे हो, आधारभूत संरचना सड़क, बिजली, पुल के विकास में अव्वल हो, बिहार में यह शैक्षणिक क्रांति का केंद्र बने। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे विशिष्ट हो। औद्योगिक पुनर्जागरण की हृदयस्थली बने। रोजगार के प्रसार का आधार बने। इससे किसी को ईर्ष्या क्यों होती है कि मैं जनतंत्र की असली जनता मालिक के द्वार पर शासन-प्रशासन को नतमस्तक करवाने की राजनीति करता हूं? तो इससे किसी को पेट में दर्द क्यों होता है? क्या ऐसे तत्वों के सामने सुमित इस जीवन में आत्मसमर्पण कर सकता है? राजनीति का यह घृणित स्वरूप अक्षम्य है, मुझे नितांत अस्वीकार्य है। इसके खिलाफ मैं हर कुर्बानी देने को हूं तैयार।