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02-Oct-2019 09:26 PM
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PATNA: आज नवरात्रि का 5वां दिन हैं. स्कंदमाता की पूजा होती है. मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से संतान, मोक्ष और ज्ञान की प्राप्ति होती है. हिन्दू मान्यताओं में स्कंदमाता सूर्यमंडल को अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है.
हिमालय की पुत्री है माता
मान्यताओं के अनुसार देवी स्कंदमाता ही हिमालय की पुत्री हैं और इस वजह से इन्हें पार्वती कहा जाता है. महादेव की पत्नी होने के कारण इन्हें माहेश्वरी भी कहते हैं. इनका वर्ण गौर है इसलिए इन्हें देवी गौरी के नाम से भी जाना जाता है. भगवान स्कंद यानी कार्तिकेय की माता होने के कारण इनका नाम स्कंदमाता पड़ा. स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से उन्होंने स्कंद को गोद में पकड़ा हुआ है. नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है. बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा वरदमुद्रा में है और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है. इनका वर्ण एकदम गौर है. ये कमल के आसन पर विराजमान हैं और इनकी सवारी शेर है.
इस तरह से करे पूजा
- नवरात्रि के पांचवें दिन सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- अब घर के मंदिर या पूजा स्थान में चौकी पर स्कंदमाता की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें.
- गंगाजल से शुद्धिकरण करें.
- अब एक कलश में पानी लेकर उसमें कुछ सिक्के डालें और उसे चौकी पर रखें.
- अब पूजा का संकल्प लें.
- इसके बाद स्कंदमाता को रोली-कुमकुम लगाएं और नैवेद्य अर्पित करें.
- अब धूप-दीपक से मां की आरती उतारें.
- आरती के बाद घर के सभी लोगों को प्रसाद बांटें और आप भी ग्रहण करें.
- स्कंद माता को सफेद रंग पसंद है. आप श्वेत कपड़े पहनकर मां को केले का भोग लगाएं. मान्यता है कि ऐसा करने से मां निरोगी रहने का आशीर्वाद देती हैं.