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23-Jul-2020 07:23 AM
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MUZAFFARPUR : मुजफ्फरपुर के बंदरा में बूढ़ी गंडक नदी में मछली पकड़ने के लिए जाल डालने वाला मछुआरा तब हैरान रह गया जब उसमें फंस कर डॉल्फिन बाहर आ गयी. मछुआरे के जाल में डॉल्फिन फंसने की खबर मिलते ही लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गयी. अपने हाथों में डॉल्फिन को लेकर सेल्फी खिंचवाने वालों का तांता लग गया. जाल में फंसी डॉल्फिन को लेकर कई तरह की चर्चायें हैं लेकिन मुजफ्फरपुर जिला प्रशासन का दावा है कि लोगों ने सेल्फी लेकर उसे फिर से नदी में छोड़ दिया. नदी में मिलने वाली ये डॉल्फिन दुर्लभ प्रजाति की डॉल्फिन है जिसे लुप्तप्राय जलजीव में शामिल किया गया है.
मुजफ्फरपुर जिले के बंदरा प्रखंड के तेपरी गांव के लोगों ने बताया कि स्थानीय मछुआरे नाव से मछली मारने निकले थे. तभी जाल में वजनदार जीव के फंसने से नाव डगमगाने लगी. मछुआरों ने जाल को खींच कर निकाल तो उसमें ड़ॉल्फिन निकली. डॉल्फिन पकड़े जाने की खबर मिलते ही आसपास से लोगों की भीड़ जुट गई. लोगों ने डॉल्फिन को अपने हाथों में लेकर फोटो खिंचवाना शुरू कर दिया. ये सिलसिला काफी देर तक जारी रहा.
डॉल्फिन का क्या हुआ
लेकिन सेल्फी लेने के बाद डॉल्फिन का क्या हुआ. स्थानीय मुखिया के पति ति अरुण कुमार राम ने कहा कि तेपरी में डॉल्फिन मिली थी. कुछ ग्रामीणों ने उसके साथ सेल्फी लेने के बाद उसे नदी में छोड़ दिया. ये क्षेत्र हत्था ओपी के तहत आता है. ओपी के प्रभारी मो. शमीम अख्तर ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. हो सकता है कि डॉल्फिन की जगह दूसरी मछली रही हो, लोग पहचान नहीं पाये होंगे.
वहीं स्थानीय लोगों ने बताया कि देर शाम तेपरी में वनरक्षियों की एक टीम पहुंची. ग्रामीणों से बात कर कागज पर कुछ लिखा-लिखाया. डॉल्फिन को हाथों में पकडे हुए लोगों की तस्वीर तो सामने आयी है लेकिन उसे वापस नदी में छोड़े जाने की कोई तस्वीर नहीं है.
उधर मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि बंदरा प्रखंड के तेपरी पंचायत में बूढ़ी गंडक नदी में जाल में डॉल्फिन मछली फंस गई थी. लोगों ने उसे फिर नदी में छोड़ दिया है। डीएम ने दावा किया कि डॉल्फिन का शिकार नहीं हुआ है.
दुर्लभ प्रजाति की है गंगा डॉल्फिन
दुलर्भ प्रजाति की गंगा डॉल्फिन गंगा और उसकी सहायक नदियों में पायी जाती है. इसे सामान्यतः गंगा नदी डॉल्फिन, ब्लाइंड डॉल्फिन या गंगा सोंस जैसे नामों से जाना जाता है. आईयूसीएन यानि अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने इसे लुप्तप्राय जीवों की सूची में शामिल कर रखा है. भारत सरकार ने इसे देश का राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया है.