सीवान में मनचलों ने छेड़खानी के दौरान दो लड़कियों पर चाकू से किया हमला, हालत गंभीर गया में सिंदूर महायज्ञ ने रचा इतिहास: अब तक 8 करोड़ आहुतियाँ, विकास और सनातन पर जोर आरा में संत सम्मेलन का भव्य आयोजन, अजय सिंह ने धर्म-संस्कृति पर दिया जागरूकता का संदेश नीतीश की योजनाओं का क्रेडिट ले रहे तेजस्वी यादव, बोले मंगल पांडेय..लालू परिवार ने किसी का भला नहीं किया 26 जून के छात्र-युवा संवाद को लेकर भोजपुर से जागरूकता रथ रवाना, रथयात्रा से गांव-गांव तक जागरूकता अभियान की शुरुआत नीतीश के गृह क्षेत्र में मुकेश सहनी ने किया वादा, कहा..हमारी सरकार बनी तो निषाद के खाते में 3 महीने तक दिया जाएगा ₹5000 बम की धमकी से मचा हड़कंप: यूके से दिल्ली आ रही एयर इंडिया फ्लाइट की सऊदी अरब में इमरजेंसी लैंडिंग Life Style: जब उम्मीद बाकी हो, तो कोशिशें चमत्कार कर सकती हैं; जानिए... राजा की कहानी परमानंदपुर पंचायत में VIP नेता संजीव मिश्रा का जनसंपर्क अभियान, बोले..अब गांव की सरकार गांव के लोगों के हाथ में होनी चाहिए Road Accident: आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे सड़क हादसे में बिहार के युवक की मौत, बिजनेस के सिलसिले में गए थे दिल्ली
04-Oct-2023 01:14 PM
By First Bihar
PATNA: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतनराम मांझी ने जातीय गणना के आंकड़ों पर सवाल उठाया है। मांझी ने कहा है कि सरकार ने जातीय गणना की जिस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है उसमें बहुत सारी खामियां है और सरकार से पूछा है कि आखिर यादवों की संख्या अचानक 4 फीसदी से 14 फीसदी कैसे हो गई?
मांझी ने यादवों की बढ़ी संख्या पर सवाल उठाते हुए कहा है कि पिछली बार 1931 में जब जातीय गणना हुई थी, उस वक्त यादव जाति के लोगों की संख्या बिहार में महज 4 फीसदी से कुछ अधिक थी लेकिन इस जातीय गणना में यादवों की संख्या 14 फीसदी से अधिक बताई जा रही है। यादव जाति के लोगों की संख्या इतनी कैसे बढ़ गई और दूसरी जातियों के लोगों की संख्या कम कैसे हो गई। यादव के सभी उपजातियों को एक साथ मिलाकर गणना कर दी गई है।
मांझी ने कहा कि कई जातियां हैं जिनका कोड एक होना चाहिए था लेकिन उसे अलग-अलग कर दिया गया है। भुईयां और मुसहर का कोड एक होना चाहिए था। सर्वदलीय बैठक में इन सब चीजों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अवगत भी कराया है। वहीं संख्या के आधार पर सत्ता में हिस्सेदारी के सवाल पर मांझी ने कहा कि अब जब जातीय गणना हो गई है तो जिसकी जितनी संख्या है उसे उतनी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।