Road Accident: आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे सड़क हादसे में बिहार के युवक की मौत, बिजनेस के सिलसिले में गए थे दिल्ली Bihar Crime News: दरभंगा में आधी रात भीषण डकैती, परिवार को बंधक बना बदमाशों ने की जमकर लूटपाट Bihar News: नाबालिग से गैंगरेप मामले में 8 दोषियों को उम्रकैद, 5 लाख मुआवजे का भी आदेश Bihar Crime News: शॉपिंग सेंटर के मालिक पर फायरिंग, बाइक पर सवार होकर आए थे बदमाश Bihar Crime News: 45 वर्षीय की निर्मम हत्या से मची सनसनी, क्रूरता की सभी हदें पार Small Business Ideas: नौकरी की कमाई काफी नहीं? कम निवेश में शुरू करें ये शानदार बिजनेस US Attacks Iran: ईरान-इजरायल जंग में कूदा अमेरिका, 3 परमाणु साइट्स पर बरसाए बंकर बस्टर बम Tejas MK1A: भारतीय वायुसेना में जल्द शामिल होगा 'देशी राफेल', खूबी जान अमेरिकी वैज्ञानिक भी हुए हैरान INDvsENG: रुट ने तोड़ डाला सचिन का रिकॉर्ड, जयसूर्या भी छूटे पीछे Bihar News: रायगढ़ में बिहार के युवक ने समाप्त की जीवन लीला, व्यवसायी के घर करता था रसोइए का काम
08-Oct-2023 04:54 PM
By First Bihar
PATNA: बिहार सरकार द्वारा पिछले दिनों जातीय गणना के आंकड़े सार्वजनिक किए जाने के बाद से ही आंकड़ों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। एक तरफ जहां राज्य सरकार और उसके सहयोगी दल अपनी पीठ थपथपा रहे हैं तो दूसरी ओर विपक्षी दल आंकड़ों में बड़े खेल की बात कह रहे हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार ने राजनीतिक फायदे के लिए आंकड़ों में हेराफेरी की है। राष्ट्रीय लोग जनता दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने आशंका जताई है कि जिस तरह से सरकार ने जातीय गणना के आंकड़ों में खेल किया है उसी तरह से आर्थिक सर्वेक्षण में भी गड़बड़ी करेगी।
एक अखबार में छपी खबर का हवाला देते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार सरकार ने 2015-16 में कुछ जातियों का आंकड़ा जुटाया था। जिन जातियों का आंकड़ा सरकार ने जुटाया था उसमें बहेलिया, चंद्रवंशी और माली जाति शामिल हैं। जिस विभाग ने अभी जातीय गणना के आंकड़े सार्वजिनक किए उसी विभाग ने उस वक्त इन तीनों जातियों के आंकड़े जुटाए थे। उस वक्त बहेलिया, चंद्रवंशी और माली जाति का जो आंकड़ा जुटाया गया उससे कम संख्या इन तीनों जातियों की बताई गई है। जिसका अंतर काफी बड़ा है। इन तीनों जातियों की संख्या इतनी कम कैसे हो गई उसको सरकार को बताना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार यह भी कह रही है कि उसने आर्थिक सर्वे भी कराया है और उसकी रिपोर्ट कुछ दिनों के बाद जारी करने की बात कही जा रही है लेकिन यह बड़ा सवाल है कि सरकार कैसे आंकड़ा जुटा लेने की बात कह रही है। जब हमसे किसी ने नहीं पूछा की आप किस जाति के हैं तो आंकड़ा कैसे आ गया। जेडीयू की तरफ से हमारे परिवार का आंकड़ा बताया गया। एक तरफ सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दिया कि किसी भी व्यक्ति का निजी डाटा शेयर नहीं किया जाएगा तो डाटा कैसे लीक हो गया इसका जवाब सरकार को देना चाहिए।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि एक बार यह मान भी लिया जाए कि गांव के लोगों ने डाटा उपलब्ध कराया होगा तो जो आर्थिक सर्वेक्षण है उसका डाटा सरकार के पास कहां से आ गया, जबकि उसके बारे में हमसे किसी ने पूछा ही नहीं है। किसी के पास कितनी संपत्ति है उसकी सटिक जानकारी गांव के लोग कैसे दे सकते हैं। किसी के अकाउंट में कितना पैसा है यह कोई दूसरा व्यक्ति कैसे बता सकता है। जबतक इस तरह का डाटा हर व्यक्ति से नहीं लिया जाएगा तबतक कैसे मान लिया जाएगा कि जातीय सर्वे सही है। उन्होंने कहा कि हमें आशंका है कि जिस तरह से आनन फानन में जाति के आंकड़े जुटाए गए उसी तरह से आर्थिक सर्वे में भी बड़े पैमाने पर सरकार की तरफ से गड़बड़ी सामने आएगी।