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19-Apr-2023 08:01 AM
By First Bihar
PATNA : बिहार में चल रही जाति आधारित जनगणना के दूसरे चरण पर रोक लगाने से हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है। इसको लेकर आधा दर्जन से अधिक याचिका पटना हाईकोर्ट में दायर की गई थी जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह निर्णय लिया है कि, वह इस मामले में फिलहाल रोक नहीं लगाने जा रही है।
दरअसल, जाति आधारित जनगणना को लेकर राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से 7 मार्च 2023 को जारी अधिसूचना को रद्द करने के लिए लगभग आधे दर्जन याचिकाएं पटना हाईकोर्ट में दायर की गई हैं। जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने इन याचिकाओं पर सुनवाई की है। कोर्ट ने कहा कि, वह इस मामले में फिलहाल रोक लगाने नहीं जा रही है।
इससे पहले आवेदक की और से सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह सहित हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील संजय सिंह, दीनू कुमार, रीतिका रानी, धनंजय कुमार तिवारी, एमपी दीक्षित सहित कई वकीलों ने अपनी-अपनी याचिका पर पक्ष रखना चाहा। जिसके बाद कोर्ट ने सभी मामलों पर 4 मई को सुनवाई करने का आदेश दिया है। इसी दौरान कई वकीलों ने जाति आधारित गणना पर रोक लगाने का अनुरोध कोर्ट से किया। जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि इस केस में किसी तरह का अंतरिम आदेश नहीं दिया जाएगा।
वहीं, राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि दायर अर्जी में आकस्मिक निधि से 5 सौ करोड़ निकालने का आरोप लगाया गया है, जो निराधार है। एडवोकेट अपराजिता सिंह ने कहा कि सरकार नागरिकों की गोपनीयता के अधिकार में दखल दे रही है। कोई नागरिक अपनी जाति को खुलासा नहीं करना चाहता है तो भी उसकी जाति की जानकारी सभी को हो जाएगी। अगर कोई अपनी जाति नहीं बताता है तो जनगणना के काम में लगे कर्मी आसपास के लोगों से जानकारी लेकर उसकी जाति का जिक्र कर देंगे। यही नहीं धर्म और समुदायों का जिक्र करने का प्रावधान नहीं है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार को ऐसा करने का अधिकार नहीं है।
आपको बताते चलें कि, राज्य सरकार ने जातीय गणना के दूसरे चरण के लिए पहली मार्च को अधिसूचना जारी की है। इसके तहत जातीय गणना के दूसरे चरण का काम 15 अप्रैल से शुरू हो गया है जो 15 मई तक पूरा होगा। इस बार के गणना में जाती, आर्थिक आय के साथ ही साथ सभी तरह की जानकारी ली जाएगी।