INDvsENG: इंग्लैंड के खिलाफ टीम इंडिया की 5 बड़ी कमजोरियां, जो जीत की राह में बन सकती हैं रुकावट Patna Crime News: पटना में अपराधियों के हौसले बुलंद, VVIP इलाके में ताबड़तोड़ फायरिंग से हड़कंप; मंत्री और जज के आवास के बाहर गोलीबारी Patna Crime News: पटना में अपराधियों के हौसले बुलंद, VVIP इलाके में ताबड़तोड़ फायरिंग से हड़कंप; मंत्री और जज के आवास के बाहर गोलीबारी Bihar Crime News: पुलिस क्लब के पास अज्ञात युवक का शव बरामद, पत्थर से कुचलकर हत्या Bihar News: वर्दी की आड़ में शराब तस्करी, होमगार्ड जवान गिरफ्तार Bihar Politics: बेगूसराय में बढ़ी भाजपा की मुश्किलें, विधानसभा चुनाव में ताल ठोकने की तैयारी में 3 जिला परिषद सदस्य Bihta Airport: रनवे विस्तार के लिए यहां से ली जाएगी जमीन, बिहटा एयरपोर्ट में जाएंगे 2 गांव के सैकड़ों मकान Bihar News: बिना अश्लीलता के भी बन सकती है भोजपुरी फिल्म, समस्तीपुर की बेटी पेश कर रहीं औरों के लिए मिसाल Land Mutation: दाखिल-खारिज में लापरवाही पड़ी अफसरों को भारी, DM ने लगाया लाखों का जुर्माना Bihar Weather: बिना छाता लिए आज न छोड़ें घर, कई जिलों में भारी बारिश का अलर्ट; IMD ने किया सावधान
31-Aug-2023 10:00 PM
By First Bihar
PATNA: पटना हाई कोर्ट ने भाजपा के वरिष्ठ नेता सह बिहार विधान परिषद के सदस्य देवेश कुमार के खिलाफ बिहार मद्य निषेध (प्रोहिबिशन ऑफ अल्कोहल) समेत अन्य धाराओं में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए दायर अर्जी पर सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार से विस्तृत जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। साथ ही इस केस से जुड़े पूरी कार्यवाही पर रोक लगा दी है।
जस्टिस सत्यव्रत वर्मा की एकलपीठ ने देवेश कुमार द्वारा दायर अर्जी पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। बता दें कि आवेदक के खिलाफ पटना के पाटलिपुत्र थाने में IPC की धारा 279, बिहार प्रोहिबिशन व एक्साइज एक्ट की धारा 37 और मोटर वाहन एक्ट की धारा 185 तहत 7 जुलाई, 2022 को पाटलिपुत्र थाना कांड संख्या- 402/ 2022 दर्ज किया गया था।
7 जुलाई, 2022 को सूचक को सूचना मिली थी कि अटल पथ के उत्तरी लेन में एक स्कोर्पियो गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। सूचक का कहना था कि देवेश कुमार और एक अन्य ने शराब पी रखी थी। आरोप लगाया गया की आरोपी ने ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट से इनकार किया, तब इन्हें पीएमसीएच ले जाकर ब्लड और यूरिन का नमूना लेकर प्रोविजनल बांड पर छोड़ दिया गया और रेकॉर्ड किया गया की आगे की कार्रवाई रिपोर्ट आने के बाद की जाएगी।
आवेदक के अधिवक्ता अंशुल ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि आवेदक का एक मेधावी शैक्षणिक कैरियर रहा है, और एक राजनैतिक दल भाजपा में जाने से पहले एक विख्यात पत्रकार भी थे। श्री अंशुल ने यह भी कहा कि बगैर अभियुक्त बनाये ही आवेदक का जबरन ब्लड जांच किया गया। इतना ही नहीं, भाजपा गठबंधन की बिहार में तत्कालीन सरकार के टूटने के बाद आवेदक को अभियुक्त बनाया गया था।