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07-Dec-2024 05:40 PM
By First Bihar
Bihar Teacher News: शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस.सिद्धार्थ ने शिक्षकों-बच्चों के कई सवालों के जवाब दिए. उन्होंने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि एक अशिक्षित बच्चा पूरी गांव के लिए मुसीबत है. इसलिए समाज को आगे आना होगा. स्कूल में पढ़ाई के समय कोई बच्चा सड़क पर दिखे तो यह गांव-समाज की जिम्मेदारी है, वह बच्चों को स्कूल भिजवाए. हम सभी पंचायत प्रतिनिधियों से आग्रह करते हैं.
1 अप्रैल से ही बच्चों को मिलेगा पोशाक-पुस्तक
अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने आगे कहा कि शिक्षा विभाग का लक्ष्य है कि बच्चे 1 अप्रैल को जैसे ही अगली क्लास में जाएंगे, उन्हें निजी विद्यालय के बच्चों की तरह किताब और ड्रेस उपलब्ध कराए, इसे लेकर हमरा प्रयास है. निजी स्कूल के बच्चे 1 अप्रैल से सभी सामग्री के साथ विद्यालय जाते हैं, अब सरकारी विद्यालय में भी यह लागू होगा. नए क्लास में जाने के दिन या तुरंत बाद नई ड्रेस की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाएगी.1 अप्रैल 2025 से यह सामग्री उपलब्ध हो जाएगी .
स्कूल में मोबाईल लाना गलत
अगले सवाल के जवाब में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने कहा कि स्कूल में मोबाइल लाना गलत बात है.अभिभावक को भी यह देखना चाहिए कि मोबाइल ना दें. हम लोग कोशिश करेंगे की इसकी चेकिंग करें. रोज तो हम जांच कर नहीं सकते हैं. फिर भी हम निदेशित करेंगे कि अगर बच्चे मोबाइल लेकर स्कूल आ जाते हैं तो शिक्षक अपने पास रख लें और फिर उसे वापस कर दें.
प्रयोगशाला में क्लास चलाना गलत
उन्होंने कहा कि जहां तक सरकारी विद्यालयों में प्रयोगशाला की बात है तो मैं सभी शिक्षकों से अनुरोध करूंगा, लेबोरेटरी रूम में क्लास नहीं चलाएं . हम जब एक जगह जांच में गए तब पता चला कि वहां पर क्लास चल रहा है. ऐसा नहीं हो की लेबोरेटरी को क्लासरूम बना दिया जाए .सिवान के स्कूल में जब हम गए तो देखा की लेबोरेटरी में क्लास चल रही थी .हमें यह अच्छा नहीं लगा .अगर नहीं सुधरेंगे तब कार्रवाई भी होगी .
मध्याह्न भोजन के लिए कुर्सी-टेबल नहीं
सरकारी विद्यालयों में मध्याहन भोजन के लिए अलग कमरा और बैठ कर खाने के लिए कुर्सी-टेबल देने की सलाह पर एस.सिद्धार्थ ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि जहां तक मध्याह्न भोजन की बात है, इसके लिए अलग से व्यवस्था नहीं हो सकती. हम लोग तो स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए बड़ी मुश्किल से बेंच-डेस्क की व्यवस्था कर रहे हैं . सरकार ने बड़ी मुश्किल से राशि उपलब्ध कराई है. जहां तक मेस बनाने की बात है तो उतने बच्चों के लिए टेबल और चेयर लगाना मुश्किल है, यह काफी खर्चीला है .पंगत में बैठकर खाना अच्छी फीलिंग होती है. मैं जाता हूं तो मैं भी पंगत में बैठकर खाता हूं. इसका अपना मजा है , जमीन पर बैठकर खाने का. एक साथ खाने में बहुत अच्छा लगता है .
शिक्षकों के लिए अलग ड्रेस की जरूरत नहीं
एक शिक्षक अभिषेक कुमार ने बच्चों की तरह शिक्षकों के लिए भी विशेष ड्रेस की व्यवस्था करने की सलाह दी. इस पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने कहा कि हम लोगों ने एक ड्रेस कोड तय किया है, जींस-टीशर्ट में स्कूल नहीं आना है. यह हमने तय किया है. लेकिन टीचर को एक विशेष ड्रेस में रहने या ना रहने की बात समझ में नहीं आ रही है. बच्चे तो यूनिफॉर्म में रहते हैं . टीचर अपने ड्रेस के अनुसार आते हैं. नए ड्रेस पर हम लोगों कोई विचार नहीं कर रहे हैं.