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24-Jun-2020 02:24 PM
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DESK : कोरोना संकट के इस काल में संक्रमितों से भेदभाव से लेकर घर न जाने देने तक का कई मामला सामने आ रहा है. लोग कोरोना को तो हरा दे रहे हैं, लेकिन लोगों की सोच को नहीं हरा पा रहे हैं. इस दौर में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें कोरोना संक्रमितों को परिवार वालों ने ही ठुकरा दिया.
ताजा मामला तेलंगाना के हैदराबाद का है. जहां 93 साल की एक महिला ने कोरोना को तो हरा दिया, लेकिन अब परिवारवाले ही घर ले जाने को तैयार नहीं है. राज्य के निर्देष के अनुसार किसी व्यक्ति का पॉजिटिव टेस्ट आने पर उसे अस्पताल में भर्ती किया जाता है, लेकिन ठीक होने के बाद एक बार दोबारा टेस्ट होने की बजाए उस व्यक्ति को घर जाकर 14 दिन के होम क्वारंटीन पीरियड में रहने का निर्देश दिया जाता है. इस महिला को लेकर यहीं पेंच फंस गया है.
महिला के परिजनों की मांग है कि महिला का दोबारा टेस्ट किया जाए, लेकिन अस्पताल प्रशासन इसके लिए तैयार नहीं है. बताया जा रहा है कि बुजुर्ग महिला, उसका बेटा और दो पोते कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे.जिसके बाद सभी को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां महिला के बेटे की इलाज के दौरान मौत हो गई थी. वहीं पोता अभी भी होम क्वारंटाइन में है.
बुजुर्ग होने की वजह से घरवालों के निवेदन के बाद महिला को अस्पताल में रखने के लिए प्रशासन राजी हो गया था, लेकिन अस्पताल प्रशासन के मुताबिक अब महिला पूरी तरह ठीक है. उसे घर जाकर 14 दिन का होम क्वारंटीन पीरियड पूरा करना है. लेकिन घरवालों का कहना है कि दोबारा जांच के बाद ही महिला को घर ले जाएंगे. वहीं अस्पताल इस बात को लेकर तैयार नहीं है.