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10-Sep-2025 10:22 AM
By First Bihar
Patna mayor : पटना नगर निगम इन दिनों सुर्ख़ियों में बना हुआ है। इस बीच अब खबर कुछ ऐसी आई है कि यह कहा जाना शुरू हो गया है कि मेयर सीता साहू की कुर्सी खतरे में हैं। ऐसे में अब इस चर्चा की वजह क्या है यह भी जानना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है तो आइए पहले हम आपको यह जानकारी उपलब्ध करवाए की आखिर सीता साहू को लेकर ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि उनकी कुर्सी खतरे में हैं।
दरअसल, पटना नगर निगम की मेयर सीता साहू को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। यह नोटिस नगर विकास विभाग के तरफ से जारी किया गया है। इसके बाद अब सीता साहू को महापौर से सात दिनों के अंदर जवाब मांगा गया है। संतोषजनक जवाब नहीं देने पर नगरपालिका अधिनियम की धारा 68(2) के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसके तहत राज्य सरकार महापौर के अधिकार और शक्तियों को छीनकर किसी उपयुक्त व्यक्ति को दे सकती है। इसके बाद महापौर के नहीं रहने पर उपमहापौर को उसके दायित्व सौंपे जाते हैं।
बताया जा रहा है कि, सीता साहू के खिलाफ हुई जांच रिपोर्ट में उनपर विभागीय आदेश की अवहेलना, अनियमित एवं नियम विरुद्ध (अविधिपूर्ण) कार्य करने की बात सामने आई है। महापौर को बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 67क के तहत नोटिस दिया गया है। विभागीय रोक के बावजूद निगम बोर्ड बैठक में प्रस्ताव संख्या 123, 124 एवं 125 को साजिश के तहत लाने और उसे पारित कराने का प्रयास करने का आरोप महापौर पर है।
नगर आयुक्त अनिमेष पराशर ने इस संबंध में विभाग को पत्र लिखा था। इस पर विभाग ने दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी। जांच के दौरान ही पार्षद विनय कुमार पप्पू, गीता देवी, डॉ. आशीष सिन्हा, डॉ. इंद्रदीप चंद्रवंशी समेत कई पार्षदों ने भी महापौर के खिलाफ विभाग से शिकायत की। इसमें भी महापौर पर नियमों की अवहेलना का आरोप लगाया गया।
इसके बाद अब सीता साहू को जारी नोटिस में कहा गया है कि विभागीय रोक के बावजूद 11 जुलाई को दुबारा प्रस्ताव लाया गया, यह अवैध और विभागीय आदेश की अवहेलना है। इसके अलावा नियमित रूप से निगम बोर्ड व सशक्त स्थायी समिति की बैठक नहीं बुलाई गई। बोर्ड की 8वीं बैठक की आंशिक संचिका 11 फरवरी को ही खोल ली गई। बिना कार्यालय के संज्ञान के ऐसा करना संदेह पैदा करता है।
सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि पटना नगर निगम द्वारा किसी भी तरह की योजना बिना सशक्त स्थायी समिति व निगम बोर्ड की स्वीकृति नहीं करायी जाए। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि एमेजिंग इंडिया सहित ऐसा कोई भी निर्णय जो सशक्त स्थायी समिति और निगम बोर्ड से पारित हो,उसे सशक्त स्थायी समिति और निगम बोर्ड के समक्ष लाए बिना रद्द नहीं करने के प्रस्ताव को निगम बोर्ड द्वारा स्वीकृति प्रदान की जाती है। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि नगर निगम के अधिवक्ता व रिटेनर प्रसून सिन्हा को निगम की सेवा से मुक्त कर अधिवक्ताओं के लिए नए पैनल के गठन के प्रस्ताव को निगम बोर्ड से स्वीकृति प्रदान की जाती है।