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16-Jun-2025 01:11 PM
By First Bihar
Bihar News: बिहार के सरकारी स्कूलों की जमीन को लेकर शिक्षा विभाग ने बड़ी पहल शुरू की है। अब सभी स्कूल परिसरों की जमीन का रिकॉर्ड शिक्षा विभाग के पास रखा जाएगा। अपर मुख्य सचिव के निर्देश के बाद जिला शिक्षा कार्यालय ने स्कूलों की जमीन की मापी (सर्वे) कराने का निर्णय लिया है।
जिला शिक्षा कार्यालय के अनुसार, जिले में प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक करीब 3400 सरकारी स्कूल हैं। लेकिन चिंता की बात यह है कि विभाग के पास यह स्पष्ट जानकारी नहीं है कि किस स्कूल के पास कितनी जमीन उपलब्ध है। जमीन के रिकॉर्ड के अभाव में कई स्कूलों की जमीन पर स्थानीय नागरिकों ने अतिक्रमण कर लिया है। यह समस्या केवल ग्रामीण इलाकों तक सीमित नहीं है, पटना शहर जैसे शहरी क्षेत्रों में भी कई स्कूलों के खेल मैदानों पर अवैध कब्जा हो चुका है।
अब प्रत्येक स्कूल का भू-राजस्व रिकॉर्ड जिला शिक्षा कार्यालय में रखा जाएगा, जिसमें जमीन से संबंधित हर जानकारी दर्ज की जाएगी। इसके लिए विशेष रूप से भू-राजस्व अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। ये अधिकारी स्कूल की जमीन का नक्शा, खेसरा, रकबा, दानदाता का विवरण और अतिक्रमण की स्थिति दर्ज करेंगे।
जिन स्कूल परिसरों की जमीन पर अवैध कब्जा पाया जाएगा, वहां पुलिस प्रशासन की मदद से उसे खाली कराया जाएगा। खाली कराई गई जमीन को कब्जे में लेकर ऊँची दीवारों से घेरा जाएगा ताकि भविष्य में फिर से अतिक्रमण न हो सके। इसके साथ ही उन स्कूलों में, जहां भवन की कमी है, नए कक्षों का निर्माण किया जाएगा और स्कूल के विकास कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी।
शिक्षा विभाग के अनुसार, कई सरकारी स्कूल ऐसे दानदाता की जमीन पर संचालित हो रहे हैं, जिन्होंने बिना दस्तावेजी प्रक्रिया के वर्षों पहले जमीन दी थी। अब उनकी संतानों द्वारा जमीन पर स्वामित्व का दावा किया जा रहा है। मापी प्रक्रिया के बाद यह साफ हो जाएगा कि वास्तव में स्कूल की सीमा कितनी है और किसके नाम पर है। कुछ जगहों पर एक ही परिसर में दो या तीन स्कूल संचालित हो रहे हैं। जगह की कमी के कारण कई स्कूलों का संविलियन किया गया है। जमीन की मापी और अतिक्रमण हटने के बाद नए परिसर का निर्माण कर सुविधाओं में सुधार किया जाएगा।
इस कार्य के लिए प्रत्येक जिले में एक अलग संभाग बनाया जाएगा, जिसमें प्रखंड से लेकर जिले तक के रिकॉर्ड सुरक्षित रखे जाएंगे। इस कार्य में स्थानीय अंचल अधिकारी और राजस्व अमीनों की मदद ली जाएगी। शिक्षा विभाग की यह पहल न केवल सरकारी स्कूलों को अतिक्रमण से मुक्त कराएगी, बल्कि बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भी मार्ग प्रशस्त करेगी। यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच को सुधारने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।