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23-Apr-2025 04:38 PM
By First Bihar
Bihar land news: बिहार सरकार ने राज्य और केंद्र की विकास परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को पारदर्शी और विवादरहित बनाने के लिए अहम कदम उठाया है। अब प्रत्येक जिले में एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा, जो अधिग्रहित भूमि की दर के साथ-साथ उसकी प्रकृति (किस्म) का भी निर्धारण करेगी। यह फैसला राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से लिया गया है।
किस तरह काम करेगी यह समिति?
राज्य के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर समिति के गठन की जानकारी दी है। इस समिति के अध्यक्ष अपर समाहर्ता (राजस्व) होंगे, जबकि जिला भू-अर्जन पदाधिकारी इसके सदस्य सचिव होंगे। इसके अतिरिक्त, जिला अवर निबंधन पदाधिकारी, उप विकास आयुक्त, और संबंधित क्षेत्र के भूमि सुधार उप समाहर्ता को सदस्य बनाया गया है।
भूमि के प्रकारों का होगा वर्गीकरण
अधिग्रहण की जा रही भूमि को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाएगा, व्यावसायिक भूमि,औद्योगिक भूमि, आवासीय भूमि, सिंचित एवं असिंचित कृषि भूमि, मुख्य सड़क के किनारे की भूमि, बांध, नदी या चंवर क्षेत्र की भूमि| बता दे कि शहरी क्षेत्रों में भी भूमि को छह श्रेणियों में बांटकर दरों का निर्धारण किया जाएगा।
डिजिटल रिकॉर्डिंग की व्यवस्था
नई प्रणाली के तहत जमीन की डिजिटल फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की जाएगी। इसमें संबंधित अधिकारियों की उपस्थिति भी दर्ज की जाएगी, ताकि रिकॉर्ड पूरी तरह से पारदर्शी हो और आगे कोई विवाद न हो।
इस फैसले की जरूरत क्यों पड़ी?
अधिग्रहण के समय ज़मीन की प्रकृति को लेकर रैयतों और अधिग्रहण विभागों के बीच अक्सर विवाद होता है। कई बार रैयतों को लगता है कि उनकी जमीन को कम मूल्य वाली श्रेणी में डाल दिया गया है। इसी समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है, ताकि प्रक्रिया की शुरुआत में ही जमीन की प्रकृति तय हो जाए।
नई दरों का निर्धारण लंबित
गौरतलब है कि जमीन की न्यूनतम दरों का अंतिम निर्धारण 2017 में हुआ था। तब से अब तक दरें अपडेट नहीं की गई हैं, जिससे अधिग्रहण प्रक्रिया में विलंब और विवाद की स्थिति बन रही है। बिहार सरकार का यह फैसला भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इससे न केवल परियोजनाओं में तेजी आएगी, बल्कि रैयतों को भी उनके हक का उचित मुआवज़ा मिल सकेगा।