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20-Sep-2025 09:41 AM
By First Bihar
Bihar cyber fraud: “एक चेहरे पर कई चेहरे लगा लेते हैं लोग...” — यह लाइन महज़ एक फिल्मी गीत नहीं, बल्कि बिहार में पकड़े गए एक साइबर ठग की हकीकत बन गई है। नालंदा जिले से सामने आए इस चौंकाने वाले मामले ने देशभर में साइबर सुरक्षा एजेंसियों को सकते में डाल दिया है। यहां एक व्यक्ति ने 6800 बार अलग-अलग चेहरे बनाकर सिम कार्ड खरीदे और उनका इस्तेमाल साइबर ठगी के लिए किया।
यह गिरफ्तारी दूरसंचार विभाग के ‘स्त्रा (STRA)’ टूल की मदद से संभव हो सकी, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से चेहरे की बारीक पहचान की जाती है। इस टूल का एक हिस्सा है ‘परम सिद्धि’ सुपर कंप्यूटर, जिसमें जब कोई संदिग्ध मोबाइल नंबर दर्ज किया जाता है, तो वह तुरंत विश्लेषण कर यह बता देता है कि एक ही चेहरे से कितने सिम कार्ड लिए गए हैं। इस टूल में Convolutional Neural Network (CNN) तकनीक का इस्तेमाल होता है, जो चेहरे की बनावट, रंग, किनारे और भाव-भंगिमाओं के आधार पर मिलान करता है।
जांच में सामने आया है कि साइबर ठग पहचान छिपाने के लिए कई तरीके अपनाते हैं, जिसमें चेहरे का रंग बदलना (गौरापन या सांवला दिखाना), बालों की स्टाइल में बदलाव, महिला जैसी साज-सज्जा दुपट्टा, नथिया, काजल आदि शामिल है। इसके अलावा नकली मूंछ-दाढ़ी लगाना या हटाना, आंखों का रंग बदलना या आंखों की बनावट में बदलाव, बनियान, शर्ट या अलग-अलग कपड़ों में फोटो खिंचवाना।
इस विशेष केस में आरोपी ने ना ही नाम बदला और ना ही लिंग, बल्कि केवल चेहरा बदलकर अलग-अलग शहरों से सिम कार्ड खरीद लिए। अब तक के साइबर अपराध इतिहास में यह देश का सबसे बड़ा और संगीन मामला माना जा रहा है।
एक साइबर ठग ने नाम और लिंग बदलकर 76 सिम कार्ड खरीदे, जिनमें से कई महिला नामों पर थे। एक अन्य ने 29 बार नाम और लिंग बदलकर 52 सिम का पंजीकरण कराया। एक आरोपी ने 100 अलग-अलग नामों से 213 सिम कार्ड हासिल किए।
टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी अमेंडमेंट रूल्स 2025 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति अधिकतम 9 सिम कार्ड ही अपने नाम पर रख सकता है। लेकिन इन मामलों में तो नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं। यही कारण है कि दूरसंचार विभाग अब देशभर में इस तरह के मामलों की AI-बेस्ड जांच कर रहा है और सभी फर्जी सिम कार्ड को ब्लॉक किया जा रहा है।
दूरसंचार विभाग का कहना है कि बिहार देश का पहला राज्य है जहाँ ऐसा हाई-फ्रीक्वेंसी चेहरा बदलने का मामला पकड़ा गया है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि साइबर ठग गूगल, यूट्यूब और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से तकनीकी ट्रेनिंग लेकर खुद को कानून से बचाने की तकनीकें विकसित कर रहे हैं।
AI और मशीन लर्निंग आधारित टूल जैसे ‘स्त्रा’ अब देश की साइबर सुरक्षा में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं। लेकिन यह घटना इस बात की चेतावनी भी है कि अगर डिजिटल पहचान व्यवस्था को मजबूत नहीं किया गया, तो ठग इससे भी अधिक चतुराई से नए तरीके निकाल सकते हैं। जरूरत है कि आम लोग भी सतर्क रहें और अपनी पहचान संबंधी जानकारी किसी के साथ साझा न करें।