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22-Apr-2025 08:33 AM
By First Bihar
Bihar News: खबर बिहार के गया जिले से है, जहां चार प्रमुख बालू घाटों से जुड़े दो साल पुराने मामले में राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। खनन एवं भूतत्व विभाग ने अनियमित बालू उत्खनन को लेकर घाट संचालकों पर कुल ₹30.69 करोड़ का भारी जुर्माना लगाया है। साथ ही, जुर्माना राशि को असंगत रूप से घटाकर ₹33 लाख करने वाली निलंबित जिला खनन पदाधिकारी निधि भारती के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी।
इस संबंध में उप मुख्यमंत्री सह खनन मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने सोमवार यानि 21 अप्रैल को विभागीय कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि खान आयुक्त के न्यायालय ने फरवरी से जून 2023 के बीच गया के चार बालू क्लस्टर खिजरसराय, बैजूधाम, बनाही एवं महुआमा और विष्णुबिगहा में हुए अवैध उत्खनन की जांच का स्वत: संज्ञान लिया था।
घाटवार जुर्माना विवरण
खिजरसराय (जय भगवती माइंस): ₹19.35 करोड़
बैजूधाम (रंजीत कुमार): ₹8.14 करोड़
बनाही एवं महुआमा (मलिक ट्रांसपोर्ट): ₹3.28 करोड़
विष्णुबिगहा (रामजी प्रसाद सिन्हा): ₹48.83 लाख
इन जुर्मानों के विरुद्ध घाट संचालकों ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन सभी मामलों में अदालत ने उनकी याचिकाएं खारिज कर दीं, जिससे सरकार के दावे की पुष्टि हुई।
मंत्री ने यह भी खुलासा किया कि गया की तत्कालीन जिला खनिज विकास पदाधिकारी निधि भारती ने वर्ष 2023 में मानसून के बाद इन जुर्मानों को बिना विधिक औचित्य के केवल ₹33 लाख तक घटा दिया। यह न केवल राजस्व हानि का गंभीर मामला है, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं और नियमों की सीधी अनदेखी भी है।
इस गड़बड़ी के सामने आने पर नवंबर 2024 में खान निदेशक की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई, जिसने दिसंबर 2024 में अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में निधि भारती की भूमिका को स्पष्ट रूप से संदिग्ध पाया गया, जिसके आधार पर उन्हें पहले ही निलंबित किया जा चुका है, और अब उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा, "खनन से जुड़े मामलों में किसी प्रकार की लापरवाही या भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बालू घाटों से जुड़े ठेकेदारों को नियमों के अनुसार काम करना होगा और यदि कोई भी नियमों के विरुद्ध कार्य करता है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।" यह कार्रवाई राज्य सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। अवैध खनन, पर्यावरणीय क्षति और राजस्व हानि जैसे मुद्दों पर अब सरकार का रुख बेहद सख्त होता जा रहा है।