Bigg Boss 19: बिग बॉस 19 में फराह खान की एंट्री से बढ़ा टेंशन, बसीर ने नेहल से तोड़ी दोस्ती Patna News: पटना में JDU-BJP दफ्तर के बाहर धारा 163 लागू, अब प्रदर्शन करने वालों की खैर नहीं Patna News: पटना में JDU-BJP दफ्तर के बाहर धारा 163 लागू, अब प्रदर्शन करने वालों की खैर नहीं Bihar News: बिहार सरकार की बड़ी कार्रवाई, 12 अधिकारियों को किया सस्पेंड; क्या है वजह? Bihar News: बिहार सरकार की बड़ी कार्रवाई, 12 अधिकारियों को किया सस्पेंड; क्या है वजह? Road Accident: BPSC परीक्षा देकर लौट रहे युवक की सड़क हादसे में मौत, एक गंभीर रूप से घायल Bihar Crime News: पत्नी से अनबन के बाद युवक की हत्या, बदमाशों ने गोलियों से भूना Durga Puja 2025: पटना में इस साल इतनी पूजा समितियों को मिलेगा दुर्गापूजा का लाइसेंस, सुरक्षा मानकों पर होगी सख्ती Durga Puja 2025: पटना में इस साल इतनी पूजा समितियों को मिलेगा दुर्गापूजा का लाइसेंस, सुरक्षा मानकों पर होगी सख्ती Bihar News: बिहार में इस राज्य से जमकर हो रही AK-47 की तस्करी, इन जिलों में सबसे ज्यादा डिमांड
20-Dec-2022 06:29 PM
By
PATNA: पटना हाई कोर्ट के फैसले से जुड़ी इस वक्त की ताजा खबर सामने आ रही है। असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली के खिलाफ दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। बिहार के 12 विश्वविद्यालयों में 4 हज़ार से अधिक सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण नियमों की अनदेखी किए जाने के मामले में हाई कोर्ट ने नियुक्ति पत्र जारी करने पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दिया है।न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने डॉ. अमोद प्रबोधी सहित अनेक अभ्यर्थियों की तरफ से दायर तीन अलग-अलग रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बिहार राज्य यूनिवर्सिटी सर्विसेज कमीशन को आदेश दिया है कि अगले आदेश तक कोई भी नियुक्ति पत्र नहीं जारी किया जाए। गौरतलब है कि एकलपीठ ने उक्त नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाते हुए, केवल नियुक्तियों की सूची या नियुक्ति पत्र को जारी करने पर ही रोक लगाया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता पीके शाही ने बहस करते हुए कोर्ट को बताया कि इन 12 यूनिवर्सिटी के अंगिभूत कॉलेजों में 4638 सहायक प्रोफेसर की रिक्तियां, विज्ञापन में प्रकाशित हुई थीं। उक्त विज्ञापन में महज 1223 रिक्तियां ही सामान्य श्रेणी के यानी अनारक्षित कोटि के अभ्यार्थियों के लिए हैं। आरक्षण नियम के अनुसार किसी भी परिस्थिति में 50 फ़ीसदी से अधिक रिजर्वेशन नहीं दिया जा सकता जबकि इस विज्ञापन में आरक्षित श्रेणी के लिए करीब तीन चौथाई से अधिक रिक्तियों को आरक्षित कर लिया गया है। कोर्ट में राज्य सरकार की तरफ से बताया गया कि उक्त विज्ञापन में प्रकाशित रिक्तियों की संख्या में वर्तमान वैकेंसी के साथ-साथ बैकलॉग यानि पिछली रिक्तियों पर नियुक्तियां नहीं हो सकी थीं, उन्हें भी जोड़ कर विज्ञापित किया गया है।
एडवोकेट पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि बैकलॉग रिक्तियों को वर्तमान रिक्तियों से जोड़ करने पर भी रिजर्वेशन नियम 50 फ़ीसदी से अधिक नहीं हो सकते। इस बाबत पटना हाई कोर्ट के जजमेंट का हवाला देते हुए उन्होंने याचिकाकर्ताओं की तरफ से अनुरोध किया कि जब तक सरकार आरक्षण देने की व्यवस्था और तरीकों को कोर्ट के सामने स्पष्ट नहीं करती तब तक के लिए कम से कम नियुक्तियों पर रोक लगाई जाए। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के 2 आला अधिकारियों को तलब किया था। मंगलवार को सामान्य प्रशासन विभाग के अपर सचिव और शिक्षा महकमे के उच्च शिक्षा निदेशक कोर्ट में हाजिर थी और जब उनसे एकलपीठ ने बैकलॉग वैकेंसी के में आरक्षण रोस्टर के तौर तरीकों पर सवाल किया तो सरकार की तरफ से कोई भी स्पष्ट उत्तर नहीं मिला।
हाई कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि यदि सरकार इस बात को खुद बता पाने में अक्षम है कि बैकलॉग रिक्तियों पर तौर तरीकों से और किस नियम के अनुसार आरक्षण रोस्टर का पालन कर राज्य के विश्वविद्यालय सेवा कमीशन को रिक्तियों की सूची भेजी थी, तब ऐसी परिस्थिति में कोई भी नियुक्ति पत्र जारी करना न्यायोचित नहीं होगा। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को इस पूरे मामले और पिछली राज्य के युक्त 12 विश्वविद्यालयों के लिए सहायक प्रोफेसर की पिछली तीन नियुक्ति प्रक्रियाओं की पूरी फाइल को पेश करने का आदेश दिया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 10 जनवरी 2023 को होगी।