ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar News: पटना के बिहटा में सड़क हादसे के बाद बवाल, गुस्साए लोगों ने ट्रक में लगाई आग, पुलिस पर पथराव Air Marshal Awadhesh Kumar Bharti: "एक बिहारी पूरे पाकिस्तान पर भारी", कौन हैं पाक को बुरी तरह धूल चटाने वाले अवधेश कुमार भारती? Aditya Vats Bihar Success Story: आईआईटी बीएचयू से पढ़ाई के बाद बिहार के लाल आदित्य वत्स को अमेरिका की कंपनी से मिला 68 लाख का पैकेज Cyber Attacks On India: पिछले कुछ दिनों में भारत पर 15 लाख साइबर हमले, पाकिस्तान के अलावा इन देशों के हैकर्स शामिल Patna News: पथ निर्माण विभाग को सौंपी जाएगी पटना की 11 सड़कें, नेहरूपथ काटने पर भी लगी रोक Bihar Health Card: बिहार बना बच्चों का हेल्थ कार्ड बनाने में देश का दूसरा सबसे सफल राज्य, मिलेगा मुफ्त इलाज और दवा Bihar News: इस जिले के 60 राजस्व कर्मचारी हुए सस्पेंड, DM ने आखिर क्यों लिया इतना बड़ा एक्शन? Patna Sand Ghats E-auction: 5 साल के लिए पटना के 148 घाटों की होगी ई-नीलामी, अवैध खनन पर लगेगा लगाम Vikram misri: विदेश सचिव विक्रम मिसरी को सोशल मीडिया पर निशाना, समर्थन में उतरे IAS और IPS अफसर Birth certificate: बिहार में अब जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए नहीं होना पड़ेगा परेशान, जानिए अब कहां बनेंगे।

खड़ी-खड़ी कबाड़ हो गई लालू की गाड़ी! जेपी विश्वविद्यालय को दिए थे दो बस, जानिए.. बदहाली की पूरी कहानी

खड़ी-खड़ी कबाड़ हो गई लालू की गाड़ी! जेपी विश्वविद्यालय को दिए थे दो बस, जानिए.. बदहाली की पूरी कहानी

20-Aug-2023 07:31 PM

By First Bihar

CHHAPRA: बिहार के स्कूल और कॉलेजों की बदहाली से हर कोई वाकिफ है। स्कूलों और कॉलेजों में संसाधनों की घोर कमी के बावजूद कुछ संसाधन उलपब्ध भी हैं तो देखरेख के अभाव में उनका हाल बुरा है। इसी तरह का एक मामला छपरा से सामने आया है, जहां तत्कालीन रेलमंत्री और सारण सांसद लालू प्रसाद द्वारा छात्राओं की सुविधा के लिए जेपी विश्वविद्यालय को दिए गए दो बस बदहाली की पूरी कहानी बता रहे हैं।


दरअसल, जयप्रकाश विश्वविद्यालय परिसर में खड़ी दो पीले रंग की बसें कबाड़ बनकर बदहाली की कहानी बयां कर रही हैं। सारण के तत्कालीन सांसद और उस वक्त रेलमंत्री रहे लालू प्रसाद ने जेपी विश्वविद्यालय की छात्राओं को सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से सांसद मद से दिए थे। दोनों बसें विश्वविद्यालय सहित महिला महाविद्यालय को प्रदान किया गया था ताकि छात्राएं अपने घर से जो दूर देहात में रहती हैं उन्हें आने जाने में और अपनी पढ़ाई पूरी करने में कहीं से कोई परेशानी ना हो।


विश्वविद्यालय ने बस लेने को तो ले लिए लेकिन आज तक छात्रों के लिए ये बसें सड़कों पर दौड़ते हुए नजर नहीं आईं। कुछ कॉलेजों में यह बसें असामाजिक तत्वों के द्वारा जला दी गई तो कहीं बस के पार्ट पुर्जे चोरी कर लिए गए। छात्रों का कहना है कि अगर बसें चली होती तों उन्हें विश्वविद्यालय तक आने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता। प्राइवेट वाहन मनमाने ढंग से पैसे वसूलते हैं। प्रतिदिन एक सौ से डेढ़ सौ रुपया किराया में खर्च हो जाता है। अगर बसें चलती तो शायद उनका इतना पैसा बर्बाद नहीं होता और परेशानियों का सामना भी नहीं करना पड़ता।