Bihar News: 90 दिनों में बिहार के रेलवे ट्रैक पर 100 से अधिक मौतें, यह रेल खंड रहा अव्वल Team India jersey Sponsor : एशिया कप में बिना स्पॉन्सर खेलने के बाद अब टीम इंडिया की जर्सी पर अब दिखेगा यह नाम,जानिए कब तक है डील Bihar Crime News: बिहार में महिला का शव मिलने से सनसनी, रेप के बाद हत्या की आशंका; परिजनों ने किया भारी बवाल Bihar News: रंग लाई राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की पहल, बर्खास्त संविदाकर्मियों की वापसी हुई तेज, अब तक इतने को मिली मंजूरी Bihar News: रंग लाई राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की पहल, बर्खास्त संविदाकर्मियों की वापसी हुई तेज, अब तक इतने को मिली मंजूरी Bihar Co: जिलाधिकारी के टकराना महिला CO को पड़ रहा महंगा ! DM की रिपोर्ट पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने उठाया यह कदम,जानें... MLC election : MLC चुनाव में आप भी बनाना चाहते हैं वोटर तो शुरू हुआ यह काम; जानिए नाम जुड़वाने के लिए क्या है प्रोसेस Google Gemini Photo Trend: सोशल मीडिया पर Nano Banana की धूम, जानिए... कितना सेफ है जेमिनी से फोटो बनवाना? 25 सितंबर से ईरोड-जोगबनी के बीच चलेगी अमृत भारत एक्सप्रेस, हर गुरुवार और रविवार को ट्रेन का होगा परिचालन BIHAR NEWS : किराए के मकान में घुसकर छात्रा की गला रेतकर हत्या, मां गंभीर रूप से हुई घायल
28-Sep-2023 02:21 PM
By First Bihar
DESK: भारत में हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का निधन 98 साल की उम्र में आज सुबह 11:20 बजे चेन्नई में हो गया। उनके निधन से किसानों के बीच शोक की लहर है। कृषि के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी। उन्होंने अकाल के समय सरकार, किसान और वैज्ञानिकों की मदद से बड़ी सामाजिक क्रांति लाई थी। एमएस स्वामीनाथन ने अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र के निदेशक के रूप में काम कर चुके थे। 40 से ज्यादा अवार्ड उन्हें मिल चुका है। उन्हें पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है।
कृषि वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन को हरित क्रांति का जनक भी कहा जाता है। बता दें कि वे पौधों के जेनेटिक वैज्ञानिक थे। मैक्सिकों के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित कर उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज उन्होंने विकसित किया था। हरित क्रांति के जनक माने जाने वाले एमएस स्वामीनाथन के निधन पर पीएम मोदी ने दुख जताया है। उन्होंने कहा कि हमारे देश के इतिहारर के एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय में कृषि में उनके अभूतपूर्व कार्य ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया था और हमारे देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की थी। बता दें कि हरित क्रांति कार्यक्रम के तहत ज्यादा उपज देने वाले गेहूं और चावल के बीच गरीब किसानों के खेतों में लगाए गये थे। इस वजह से भारत खाद्यान्न मामले में आत्मनिर्भर बन गया था।