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25-Jun-2022 11:19 AM
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DESK: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 2002 गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 64 लोगों को विशेष जांच दल की ओर से दिए गए क्लीन चिट को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है. जिसपर केंद्र गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि आप कह सकतें हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने ये सिद्ध कर दिया है कि सभी आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित थे. 18-19 साल की लड़ाई, देश का इतना बड़ा नेता एक शब्द बोले बगैर सभी दुखों को भगवान शंकर के विषपान की तरह गले में उतारकर सहन कर लड़ता रहा। सत्य सोना की तरह बाहर आया है.
अमित शाह ने कहा कि मैंने मोदी जी को नजदीक से इस दर्द को झेलते हुए देखा है. क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया चल रही थी तो सब कुछ सत्य होने के बावजूद भी हम कुछ नहीं बोलेंगे. बहुत मजबूत मन का आदमी ही ये स्टैंड ले सकता है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने मोदी जी पर आरोप लगाए थे अगर उनकी अंतरात्मा है तो उन्हें मोदी जी और बीजेपी नेता से माफी मांगनी चाहिए. मोदी जी से भी पूछताछ हुई थी लेकिन तब किसी ने धरना-प्रदर्शन नहीं किया था और हमने कानून को सहयोग दिया और मेरी भी गिरफ़्तारी हुई थी लेकिन कोई भी धरना-प्रदर्शन नहीं हुआ था.
केंद्र गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मोदी जी SIT के सामने कोई नाटक करते हुए नहीं गए थे कि मेरे समर्थन में आओ और धरना दो. हमारा मानना था कि हमें कानूनी प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए. अगर SIT सीएम से सवाल करना चाहती है तो सीएम खुद सहयोग करने को तैयार थे. गुजरात में हमारी सरकारी थी लेकिन यूपीए की सरकार ने NGO की मदद की है. सब जानते हैं कि ये केवल मोदी जी की छवि खराब करने के लिए किया गया था. उन्होंने कहा कि दंगे होने का मुख्य कारण गोधरा की ट्रेन को जला देना था. 16 दिन की बच्ची को उसकी मां की गोद में बैठे हुए जिंदा जलते हुए मैंने देखा है और मेरे हाथ से मैंने अंतिम संस्कार किया है.
अमित शाह ने कहा कि मोदी जी ने उदाहरण पेश किया कि कैसे संविधान का सम्मान किया जा सकता है। उनसे पूछताछ की गई लेकिन किसी ने धरना नहीं दिया और कार्यकर्ता उनके साथ एकजुटता के साथ खड़े नहीं हुए. अगर आरोप लगाने वालों में अंतरात्मा है, तो उन्हें माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्रेन में आग लगने के बाद की घटनाएं पूर्व नियोजित नहीं बल्कि स्वप्रेरित थी. मोदी जी ने उदाहरण पेश किया कि कैसे संविधान का सम्मान किया जा सकता है.