Bihar Assembly Elections 2025: इस दिन आपको भी घर से निकलना है बाहर तो ध्यान दें, बदल दिए गया शहर का ट्रैफिक रुल; पढ़िए पूरी खबर BIHAR ELECTION :JDU विधायक पर बगावत, कार्यकर्ताओं ने मंत्री के सामने उठाई टिकट काटने की मांग; क्या नीतीश कुमार पूरी करेंगे मांग BIHAR POLICE : विधानसभा चुनाव से पहले पुलिस अलर्ट, वाहन चेकिंग में हथियार के साथ युवक गिरफ्तार Vice President of India: सीपी राधाकृष्णन ने ली उपराष्ट्रपति पद की शपथ, लंबे समय के बाद सामने आए धनखड़ BIHAR NEWS : पटना-बख्तियारपुर NH-30 पर भीषण सड़क हादसा, परिजनों ने किया सड़क जाम Corruption in Bihar : नोट जलाने वाले RWD इंजीनियर विनोद राय पर आय से अधिक संपत्ति का केस, करोड़ों की संपत्ति और नोट बरामद Bihar Assembly Elections 2025: क्या मुस्लिम वोट बैंक पर अब भी RJD का है वर्चस्व? आंकड़े बताते हैं सच; जानिए... Bihar News: आजादी के बाद पहली बार बिहार के इस जिले में पहुंचेगी ट्रेन, तैयारी शुरू.. BIHAR CRIME : बिहार से शुरू होगी दो अमृत भारत ट्रेनें, टाइम टेबल जारी; वंदे भारत एक्सप्रेस Bihar Teacher News: बिहार शिक्षक बहाली में धांधली! अब हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग से मांगा जवाब, मुश्किलों में ACS!
22-Aug-2024 09:40 PM
By First Bihar
PATNA: करीब एक महीने हुए जब बीजेपी ने दिलीप जायसवाल को बिहार बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. उसके बाद से दिलीप जायसवाल अपनी पार्टी के कार्यक्रमों में तो लगे हैं लेकिन किसी सहयोगी पार्टी के नेता के पास मुलाकात करने नहीं गये. लेकिन बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष जायसवाल 21 अगस्त की रात अचानक से चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस के ठिकाने पर उनसे मिलने पहुंच गये. जायसवाल की पारस की इस मुलाकात के पीछे की कहानी अब सामने आ रही है.
बंद कमरे में हुई बात
पशुपति कुमार पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के एक नेता ने बताया कि 21 अगस्त की सुबह ही दिलीप जायसवाल ने पारस से मिलने का समय मांगा था. तय हुआ कि रात में मुलाकात होगी और जायसवाल खुद पारस की पार्टी के ऑफिस में जाकर उनसे मिलेंगे. वैसे पारस अपनी पार्टी के ऑफिस में ही रहते भी हैं. बुधवार की देर शाम दिलीप जायसवाल वहां पहुंचे और बंद कमरे में पारस के साथ लगभग एक घंटे तक बातचीत की. इसके बाद बकायदा फोटो सेशन हुआ औऱ मीडिया को मुलाकात की जानकारी दी गयी.
आलाकमान के निर्देश पर मुलाकात
बीजेपी के नेता बता रहे हैं कि दिलीप जायसवाल ने अपनी पार्टी के आलाकमान के निर्देश पर पशुपति पारस से मुलाकात की. सूत्रों के मुताबिक 20 अगस्त को दिल्ली में दिलीप जायसवाल की मुलाकात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से हुई थी. उसी मुलाकात के दौरान जायसवाल को ये कहा गया कि वे पशुपति पारस के घर जाकर उनसे जाकर बात करें. दिलीप जायसवाल 20 अगस्त की रात दिल्ली से पटना वापस लौटे. 21 अगस्त को सदस्यता अभियान को लेकर बीजेपी का दिन भर का कार्यक्रम था, इसमें शामिल होने के लिए कई नेता दिल्ली से खास तौर पर आये थे. जैसे ही बीजेपी का कार्यक्रम औऱ बैठक खत्म हुई, वैसे ही जायसवाल की गाड़ी पशुपति कुमार पारस के घर पहुंच गयी.
दोनों में क्या हुई बात?
पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के एक नेता ने बताया कि दिलीप जायसवाल अपने आलाकमान का संदेशा लेकर पहुंचे थे. उन्होंने पारस को भरोसा दिलाया कि बीजेपी उनके साथ है. आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी उन्हें पर्याप्त महत्व देगी. लोकसभा चुनाव जैसी घटना अब नहीं होने वाली है. दिलीप जायसवाल ने बार बार पारस को यकीन दिलाया कि बीजेपी अब उन्हें सड़क पर नहीं छोड़ देगी.
चिराग पर नकेल कसने की तैयारी
सियासी गलियारे में सवाल ये उठ रहा है कि आखिरकार दिलीप जायसवाल पारस से ही मिलने क्यों पहुंचे. करीब एक महीने पहले उन्हें बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. बिहार में बीजेपी का जेडीयू, लोजपा(रामविलास), जीतन राम मांझी की हम पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा के राष्ट्रीय लोक मोर्चा के साथ गठबंधन है. दिलीप जायसवाल इन पार्टियों के नेताओं के घर नहीं गये. फिर पारस के पास जाने का मतलब क्या है?
बीजेपी सूत्र इसका जवाब दे रहे हैं. उनके मुताबिक पार्टी चिराग पासवान का नकेल कसना चाहती है. चिराग पासवान ने इऩ दिनों कई विवादित मुद्दों पर बयानबाजी की है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले, यूपीएससी की नियुक्ति जैसे मामलों में चिराग की बयानबाजी से बीजेपी खुश नहीं है. विवादित मुद्दों पर बीजेपी की दूसरी सहयोगी पार्टियों ने अपनी जुबान बंद रखी लेकिन चिराग पासवान लगातार बयान दे रहे हैं. इससे बीजेपी आलाकमान को चिराग के भविष्य को लेकर आशंका हो रही है.
वहीं, लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के प्रदर्शन पर चिराग पासवान के दावे से भी बीजेपी असहज है. दरअसल लोकसभा चुनाव में चिराग की पार्टी को पांच सीटें मिली थीं और उन सब पर जीत हासिल हुई. बीजेपी को खबर मिली है कि चिराग लगातार ये दावा कर रहे हैं कि उन्होंने अपने दम पर जीत हासिल की है. जबकि बीजेपी नेताओं का मानना है कि अगर नरेंद्र मोदी के नाम का सहारा नहीं होता तो खुद चिराग पासवान की जमानत नहीं बचती.
चिराग पासवान की बयानबाजी से बीजेपी को आशंका है कि वे बाद में पाला बदल सकते हैं. ऐसे में बीजेपी प्लान बी भी तैयार कर रही है. पशुपति कुमार पारस उसी प्लान में शामिल हैं. अगर चिराग पासवान कुछ ज्यादा महत्वाकांक्षा दिखाते हैं तो बीजेपी पारस को आगे करने की तैयारी में है. बीजेपी की तैयारियों को देखते हुए इतना तो स्पष्ट है कि आगे आने वाले दिनों में बिहार की सियासत दिलचस्प मोड़ लेगी.