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30-May-2021 07:22 AM
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PATNA : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस दिन ये एलान कर रहे थे कि बिहार के सभी मेडिकल कॉलेजों में ब्लैक फंगस का इलाज होगा, ठीक उसी दिन पटना के सरकारी अस्पतालों में भर्ती इस बीमारी के मरीजों की जान आफत में फंस गयी है. पटना के सरकारी अस्पतालों में इस खतरनाक बीमारी की दवा खत्म हो गयी है. मरीजों को दवा की डोज नहीं मिल रही है. पूरे बिहार में ब्लैक फंगस का इलाज करवाने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दवा के इंतजाम पर कुछ नहीं बोल रहे हैं,
IGIMS औऱ एम्स में दवा खत्म
पटना के उन दोनों सरकारी अस्पतालों में जहां ब्लैख फंगस का इलाज हो रहा है, वहां दवा खत्म हो गयी है. हम आपको बता दें कि पटना एम्स में ब्लैक फंगस के 85 मरीज भर्ती हैं. वहीं आईजीआईएमएस में 98 मरीज भर्ती हैं बिहार सरकार के संस्थान आईजीआईएमएस में 40 मरीजों का ऑपरेशन हो चुका है तो एम्स में 27 मरीजों को ऑपरेशन किया जा चुका है. मरीजों को एम्फोरेटेरिसिन इंजेक्शन देना बेहद जरूरी है लेकिन दोनों अस्पतालों में ये दवा खत्म हो गयी है.
एम्स में ईएनटी विभाग की प्रमुख डॉ क्रांति भावना ने बताया कि वहां इंजेक्शन खत्म चुका है. इंजेक्शन नहीं रहने के कारण मरीजों को दूसरी दवा दी जा रही है लेकिन ये उतनी कारगर नहीं है. उधर आईजीआईएमएस में शनिवार को इंजेक्शन के सिर्फ पांच वॉयल बचे थे जो एक मरीज के लिए भी पर्याप्त नहीं था. संस्थान के डॉ कृष्ण गोपाल ने बताया कि राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग को मांग पत्र भेजा गया है. जब इंजेक्शन मिलेगा तो मरीजो को लगाया जायेगा.
घोषणा करते रहे नीतीश कुमार
पटना के बडे सरकारी अस्पतालों में जब ब्लैक फंगस की दवा खत्म थी तो सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एलान करने में लगे थे. नीतीश कुमार ने ट्वीट कर कहा कि उनकी सरकार बिहार के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ब्लैक फंगस के इलाज की व्यवस्था कर रही है. इसके लिए उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिशा निर्देश दिया है. हद देखिये कि बिहार के मुख्यमंत्री को उनके स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने ये नहीं बताया कि जहां पहले से ब्लैक फंगस का इलाज चल रहा है वहीं इलाज के लिए दवा नहीं है.
सांसत में लगभग 200 मरीजों की जान
ब्लैक फंगस की दवा खत्म होने के बाद लगभग दो सौ मरीजों की जान सांसत में फंसी है. सिर्फ पटना के आईजीआईएमएस औऱ एम्स में ब्लैक फंगस के 183 मरीज भर्ती हैं. ब्लैक फंगस के एक मरीज को प्रतिदिन एम्फोरेटेरेसिन की 6 वॉयल की जरूरत होती है. मरीज अगर गंभीर हो औऱ संक्रमण ज्यादा फैल गया है तो उसे 10 वॉयल तक देना पडता है. ये दवा खुले बाजार में नहीं मिलती. ये इंजेक्शन बिहार सरकार का स्वास्थ्य विभाग अस्पतालों में सप्लाई करता है. इंजेक्शन खत्म होने के कारण एम्स औऱ आईजीआईएमएस में त्राहिमाम की स्थिति है. आईजीआईएमएस में ईएनटी विभाग के डॉ विभूति प्रसन्न सिन्हा ने बताया कि एक मरीज को 10 से 14 दिनों तक इस इंजेक्शन की 6-6 डोज प्रतिदिन देनी होती है. लेकिन इंजेक्शन नही हैं. फिर मरीजों की क्या हालत होगी ये बताने की जरूरत नहीं है.