राज्य में ‘स्वच्छ बिहार’ पोर्टल लॉन्च, स्वच्छता और पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम Czech Princess's Lost Ring: राजकुमारी की 22 लाख की अंगूठी खोई तो 2 दिन में ढूंढ कर निकाला, ठुकराए इनाम के 5 लाख रुपए नालंदा में पुलिस और अपराधियों के बीच मुठभेड़, कुख्यात अपराधी 'लाल बादशाह' फरार Bihar Crime News: कलयुगी बेटों ने माँ को पीटकर किया अधमरा, समझाने आए बहन और जीजा पर भी हमला Pahalgam Terror Attack: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाई लेवल मीटिंग, राजनाथ सिंह समेत तीनों सेना के चीफ बैठक में मौजूद; क्या होने वाला है? Pahalgam Terror Attack: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाई लेवल मीटिंग, राजनाथ सिंह समेत तीनों सेना के चीफ बैठक में मौजूद; क्या होने वाला है? कांग्रेस ने चेहरा हटाकर PM मोदी को बताया गायब, युवा चेतना के राष्ट्रीय संयोजक रोहित कुमार सिंह ने बोला जमकर हमला Pawan Kalyan: पाकिस्तान की भाषा बोलने वाले नेताओं पर भड़के पवन कल्याण, कहा “उस देश से इतना ही प्यार है तो यहां क्यों हो?” Bihar News: सड़क दुर्घटना के पीड़ित परिवारों को बिहार सरकार ने दी मदद, आश्रितों को मिले 100 करोड़ Bihar News: सड़क दुर्घटना के पीड़ित परिवारों को बिहार सरकार ने दी मदद, आश्रितों को मिले 100 करोड़
08-Nov-2024 08:13 AM
By First Bihar
DESK : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा रहेगा या खत्म होगा इस पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाया। प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाई। इससे पहले संविधान पीठ ने एक फरवरी को इस पर फैसला सुरक्षित रखा था। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को नए सिरे से तय करने के लिए तीन जजों की एक समिति गठित की गई है।कोर्ट ने 4-3 के बहुमत से यह फैसला सुनाया है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को इस विवादास्पद कानूनी सवाल पर अपना फैसला सुनाया कि क्या अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) को संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त है। अनुच्छेद 30 धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनके प्रशासन का अधिकार देता है। इस मामले में कोर्ट का कहना है कि अब नई बेंच एएमयू को अल्पसंख्यक दर्जा देने के मानदंड तय करेगी। इस मामले पर सीजेआई समेत चार जजों ने एकमत से फैसला दिया है जबकि तीन जजों ने डिसेंट नोट दिया है। मामले पर सीजेआई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा एकमत हैं।वहीं, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा का फैसला अलग है।
वहीं, कोर्ट ने 4-3 के बहुमत से अपने फैसले में 1967 के उस फैसले को खारिज कर दिया है, जो एएमयू को अल्पसंख्यक दर्जा देने से इनकार करने का आधार बना था। सीजेआई ने कहा कि अनुच्छेद 30ए के तहत किसी संस्था को अल्पसंख्यक माने जाने के मानदंड क्या हैं? किसी भी नागरिक द्वारा स्थापित शैक्षणिक संस्थान को अनुच्छेद 19(6) के तहत विनियमित किया जा सकता है।अनुच्छेद 30 के तहत अधिकार निरपेक्ष नहीं है। अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान के विनियमन की अनुमति अनुच्छेद 19(6) के तहत दी गई है, बशर्ते कि यह संस्थान के अल्पसंख्यक चरित्र का उल्लंघन न करे।
इधर, अदालत ने आठ दिन तक दलीलें सुनने के बाद एक फरवरी को इस सवाल पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। एक फरवरी को शीर्ष अदालत ने कहा था कि एएमयू अधिनियम में 1981 के संशोधन ने केवल आधे-अधूरे मन से काम किया और संस्थान को 1951 से पहले की स्थिति में बहाल नहीं किया। 1981 के संशोधन ने इसे प्रभावी रूप से अल्पसंख्यक दर्जा दिया था। जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनके पास अब कुछ ही कार्य दिवस हैं। ऐसे में उनकी सेवानिवृत्ति से पहले इन मामलों में फैसला आ जाएगा। जस्टिस चंद्रचूड़ अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में फैसला देने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सेवानिवृत्त होने वाले आखिरी न्यायाधीश हैं।