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05-Apr-2025 03:50 PM
By First Bihar
BJP foundation day : इस साल 6 अप्रैल को भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपनी स्थापना के 45 साल पूरे करने जा रही है। इस खास दिन को भव्य और जोरदार तरीके से मनाने की तैयारियां जोरों पर हैं।इन प्रमुख निर्णयों और योजनाओं के बलबूते भाजपा आज विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के तौर पर उभर कर आई है।
भाजपा की जड़ें, भारतीय जनसंघ से शुरुआत
भारतीय जनता पार्टी यानी BJP का जन्म 6 अप्रैल 1980 को हुआ, लेकिन इसकी जड़ें उससे भी गहरी हैं। दरअसल, इसकी कहानी शुरू होती है 1951 में जब डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कांग्रेस सरकार की नीतियों से असहमति जताते हुए नेहरू कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया और भारतीय जनसंघ की स्थापना की। वे कश्मीर को विशेषाधिकार देने के खिलाफ थे और इसी मुद्दे पर उन्हें जेल जाना पड़ा था |
जब पहली बार कांग्रेस का एकाधिकार टूटा
जनसंघ का प्रभाव 1967 में दिखाई देने लगा जब दीनदयाल उपाध्याय के नेतृत्व में कांग्रेस का राज्यों में एकाधिकार टूटने लगा। 1977 में इमरजेंसी के बाद जब इंदिरा गांधी ने चुनाव की घोषणा की तो जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में तमाम विपक्षी दलों ने मिलकर जनता पार्टी बनाई। जनसंघ भी उसमें शामिल हुआ।
जनता पार्टी का विघटन और BJP की स्थापना
लेकिन यह गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चल पाया। जब RSS के साथ संबंधों को लेकर मतभेद उभरे, तब जनसंघ के नेताओं ने अलग होकर 1980 में BJP की स्थापना की और अटल बिहारी वाजपेयी इसके पहले अध्यक्ष बने।
शुरुआती संघर्ष और पहली हार
शुरुआत आसान नहीं रही। 1984 के लोकसभा चुनाव में BJP महज 2 सीटें ही जीत पाई। लेकिन 1989 में बेफोर्स घोटाले के मुद्दे और राम मंदिर आंदोलन ने पार्टी को एक नई पहचान दी। लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा ने जन-जन तक पार्टी की बात पहुचाने की कोशिश की ।
NDA का गठन और केंद्र की सत्ता में वापसी
1998 में BJP ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर NDA सरकार बनाई और केंद्र में सत्ता हासिल की। 1999 में फिर से NDA को बहुमत मिला और वाजपेयी एक बार फिर प्रधानमंत्री बने।
2004 की हार और विपक्ष में वापसी
हालांकि, 2004 में ‘इंडिया शाइनिंग’ कैंपेन के बावजूद कांग्रेस ने वापसी की और BJP को विपक्ष में बैठना पड़ा। 2009 में पार्टी की हालत और कमजोर हो गयी ।
2014 से BJP का स्वर्णिम दौर का आगाज़
लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में BJP ने इतिहास रच दिया। पार्टी ने अकेले 282 सीटें जीतीं और NDA को 336 सीटें मिलीं। यह 1984 के बाद पहली बार था जब किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला।
सदस्यता अभियान से आधार बढ़ाया
भाजपा की सफलता में सबसे बड़ा योगदान इसके विशाल कार्यकर्ताओं के आधार का है। जब अमित शाह ने पार्टी अध्यक्ष का कार्यभार संभाला, तब उन्होंने देशव्यापी सदस्यता अभियान की शुरुआत की थी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता की लहर में लाखों-करोड़ों लोग पार्टी से जुड़ते चले गए। 2015 तक भाजपा के सदस्य 10 करोड़ से अधिक हो गए। 2019 लोकसभा चूनाव तक बीजेपी की सदस्यता का अकड़ा बढ़कर करीब 18 करोड़ हो गया |
तकनीक डिजिटल मीडिया का स्मार्ट इस्तेमाल
भाजपा ने डिजिटल माध्यमों का उपयोग करते हुए राजनीति में नई ऊंचाइयों को छुआ। सदस्यता अभियान को ऑनलाइन किया गया ताकि लोग मोबाइल से ही जुड़ सकें। आंतरिक बैठकों को वर्चुअल माध्यम से संचालित किया गया, और सोशल मीडिया व व्हाट्सएप के जरिए जनसंपर्क मजबूत किया गया।
राज्यवार रणनीति और सामाजिक समीकरण
हर राज्य की अलग राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने क्षेत्रीय रणनीतियाँ तैयार कीं। अमित शाह के नेतृत्व में राज्यवार सोशल इंजीनियरिंग पर विशेष ध्यान दिया। राम मंदिर जैसे मुद्दों पर वर्षों पुराने विवादों को सुलझाकर आम जनता का विश्वास जीतने में पार्टी सफल रही।
मजबूत संगठन और संकल्पित स्वयसेवक बनी भाजपा की रीढ़
भाजपा ने अपने संगठन को जमीनी स्तर से मजबूत किया। बूथ लेवल से लेकर जिला, मंडल और पन्ना प्रमुख जैसे ढांचागत तरीके से (top to bottom ) कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया गया, लिहाजा हर मतदाता से सीधा संपर्क करने में दुसरे =राजनितिक पार्जटियों के मुकाबले सफल रही |